सरधना से साजिद कुरैशी की रिपोर्ट---
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महावीर आयुर्वेदिक में लगा रक्तदान शिवर

सरधना (मेरठ) सरधना मेरठ मार्ग स्थित पौहल्ली के निक महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय, में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर स्वैच्छिक रक्तदान शिवर का आयोजन किया गया। जिसका शुभारम्भ संस्थान के डायरेक्टर जनरल सतीश राघव, सीईओ आशीष बालियान, डायरेक्टर एडमिन विक्रांत यादव, प्राचार्य डॉ देवदत्ता भादलीकर एवं एल0आर0एम0 मैडिकल कॉलिज के ब्लड बैक के डॉ0 विजय सोनी ने संयुक्त रुप से फीता काट कर किया। रक्तदान शिवर में महिलाओं ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। जिसमें संस्थान की सभी शिक्षिकओं एवं छात्रों ने प्रतिभाग किया।
संस्थान के डायरेक्टर जनरल सतीश राघव ने बताया इस महिला दिवस में पर संस्थान महिलाओं को बढावा देने के लिए इस रक्तदान शिवर का आयोजन किया गया हैं। रक्त एवं रक्तदान की महत्ता को समझने हेतु उन्होंने बताया कि व्यक्ति के जीवन में रक्तदान की व्यक्तिगत तथा सामाजिक लाभ प्राप्त होता है। रक्तदान करने को आयुर्वेद के माध्यम से उन्होने एक सकारात्मक पहलू पर विचार व्यक्त करते हुए बताया कि आयुर्वेद की प्राचीन विधि रक्तमोक्षण यानि एक प्रकार का चिकित्सा कर्म जो शरीर में होने वाले विभिन्न रोगों को समाप्त करने में सक्षम है और साथ ही शरीर में होने वाले रोगों को भी रोकता है। रक्तदान के उद्देश्य के बारे मे बताया कि लोगो को स्वैच्छिक रक्तदान के बारे में जागरूक करना, लोगो को रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करना व रक्तदान से होने वाले सामाजिक स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वास्थ्य से अवगत कराना। 
रक्तदान शिवर में उपस्थित सभी को सम्बोधित करते हुए संस्थान के प्राचार्य डॉ0 देवदत्ता भादलीकर बताया कि आचार्य सुश्रुत के विचारों को व्यक्त करते हुए बताया कि रक्त मोक्षण द्वारा विभिन्न प्रकार के (त्वचा रोग, सूजन व फोडे़) की चिकित्सा ही नहीं बल्कि उन्हे रोकने में भी सक्षम है। शरीर में इन रोगों के होने का मुख्य कारण शरीर में दूषित रक्त होता है। इन सभी रोगों का होने का मुख्य कारण आज के खानपान को बताया है। आज के समय खाने में तेल एवं मिर्च की अधिकता वाले फास्ट फूड तथा एंटी एसिड दवाएं त्वचा रोग का मुख्य कारण है। जिसकी चिकित्सा में रक्तमोक्षण को श्रेष्ठ बताया गया है। 
संस्थान के डॉ0 मंसूर अहमद ने रक्तदान करने वाले व्यक्ति की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि रक्तदान उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हो इसमें रक्तदाता का भी परीक्षण होता है और उसके चिक्तिसा इतिहास के बारे में कुछ अहम सवाल पूछे जाते है दाता के हीमोटोक्रिट या हीमोग्लोबिन की जांच यह सुनिश्चित करने कि लिए की जाती है कि रक्त निकल जाने से कि यह रक्ताल्पता से पीड़ित कर देगा और यह जांच दाता को अयोग्य ठहराने के लिए बहुत है नब्ज, रक्तचाप और शारीरिक तापमान का भी मूल्यांकन किया जाता है। बुजुर्ग दाताओ को केवल उनकी आयु देखते हुए स्वास्थ्य संबधी चिताओं को ध्यान में रखकर रक्तदान के लिए मना कर दिया जाता है। गर्भावस्था के दौरान रक्तदान की सुरक्षा पर सही से अध्ययन नहीं किया गया है इसीलिए गर्भावस्था की स्थिति में भी रक्तदाता को रक्तदान के लिए मना कर दिया जाता ळें
रक्तदान शिविर के पश्चात लाला लाजपत राय मैडिकल कॉलिज के ब्लड बैक के डॉ0 विजय सोनी द्वारा संस्थान को स्मृति चिन्ह एवं रक्तदान करने वालो को प्रमाण पत्र वितरति किये गय।
इस अवर पर संस्थान के डॉ0 अनुपम सिंह, डॉ0 रनजीत, डॉ0 धनंजय, डॉ0 प्रिया कौल, डॉ0 अजित सिंह, डॉ0 मंजुलता सैनी, डॉ0 हर्ष, डॉ0 भावना मेहरा, डॉ0 सुरभि बंसल, डॉ0 ज्योति, डॉ0 मनिष, आशिष सिंह आदि व सभी छात्रों ने प्रतिभाग किया।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts