जब दोस्तों की जान बचाने के लिये बांट डाले ढाई लाख रूपये

 यूक्रेन से मेरठ छात्रों ने जब बताए वहां हाल तो आंखों में  छलक आये आंसू

मेरठ। यूक्रेन में डाक्टर बनने का ख्वाब लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को युद्ध के बीच जान बचाकर अपने वतन लौटना पड़ रहा है।जिले के पांच छात्र.छात्राएं मेरठ लौटे तो परिजनों के आंसू छलक पड़े। यूक्रेन में मेरठ के 34 छात्र-छात्राएं अभी भी फंसे हुए हैं।

अभी जो यूक्रेन में ही फंसे हैं वह वापसी की जद्दोजहद कर रहे हैं। जो लौट आए हैं, उनके जहन से डर नहीं निकल रहा है। किठौर के आलमगीर और उरूज फातिमा, मवाना का शारिक, खरखौदा की तमन्ना और रोहटा रोड का स्नेहाशीष भूखे, प्यासे, ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजार कर, पैदल चलकर जैसे.तैसे अपने वतन अपने घर पहुंचे हैं। खारकीव में हमले में कर्नाटक के नवीन की मृत्यु के बाद से छात्र और सदमे में हैं। परिजन परेशान हैं और सकुशल सलामती की दुआ कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से बाकी छात्रों को वापस लाने की अपील की है।

दूसरी तरफ, यूक्रेन-रूस में फंसे छात्रों को लेकर जिला प्रशासन भी हरकत में आया। डीएम के. बालाजी समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने छात्रों के परिजनों से मुलाकात की और सूचनाओं का आदान.प्रदान किया। जिलाधिकारी ने बताया कि परिजनों से मिली जानकारी को प्रदेश और केंद्र सरकार के साथ शेयर किया है।

अधिकारियों को लगातार संपर्क बनाए रखने और हर संभव सहायता करने के लिए कहा गया है। डीएम के. बालाजी खारकीव में फंसी गंगानगर निवासी श्वेता सैनी के परिजनों से मिलने उनके घर पहुंचे। एडीएम वित्त एवं राजस्व, एसडीएम सदर संदीप भागिया, एसडीएम सरधना अमित कुमार, एसडीएम सरधना सूरज पटेल के अलावा तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने सभी छात्रों के घर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की और वापस लौटे छात्रों से संबंधित जानकारी हासिल की।

यूक्रेन में एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्र आलमगीर सकुशल किठौर के ललियाना लौट आए हैं। आलमगीर ने बताया कि उसे एक मार्च को फीस जमा करनी थी, लेकिन ऐसे हालात में कई छात्र ऐसे थे, जिनको भारत आने के लिए पैसों की तंगी थी, बैंक से पैसे न निकलने के कारण सभी परेशान थे।

उसने फीस जमा करने के बजाय ढाई लाख रुपये साथी छात्रों में बांट दिए, ताकि वे भी सकुशल वापस आ सकें। उनके पिता मोइन ने बताया कि उसने बताया कि पिछले पांच दिन कैसे गुजरे, बयां नहीं कर सकते। अब बेटा आ गया तो राहत मिली, लेकिन जो छात्र फंसे हैं उनके परिजनों को हाल सोचकर मन दुखी हो रहा है।

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