देहरादून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कबीना मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। साथ ही उन्हें मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया गया है। उन पर यह कार्रवाई पार्टी विरोधी बयानों को लेकर की गई है।भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के हवाले से बताया है कि अनुशासनहीनता के कारण डॉ हरक सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत ने पार्टी से दो टिकट मांगे थे, पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद पार्टी विरोधी बयानों को लेकर हरक सिंह रावत चर्चा में आ गए थे। दरअसल, हरक सिंह लैंसडाउन से अपनी पुत्र वधू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की पैरवी कर रहे थे। मगर लैंसडाउन से विधायक दिलीप रावत इसके विरोध में थे, जिस पर पार्टी ने भी हरक सिंह की मांग को मानने से इनकार दिया था।
वहीं, हरक सिंह रावत के रविवार की शाम दिल्ली जाने और कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा थी। उनके साथ अन्य विधायक का  भी दिल्ली में होना बताया जा रहा है, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी हरक सिंह रावत कई मौकों पर बगावती तेवर दिखा चुके हैं। वे 2016 में कांग्रेस को छोड़कर ही भाजपा में आये थे। पार्टी में शामिल होने के बाद भी कई बार उनकी नेतृत्व से तकरार देखने को मिली थी।
 राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रस्ताव पर कबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को मंत्रिमण्डल की सदस्यता से पदमुक्त करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। मंत्री को आवंटित सभी विभाग अब मुख्यमंत्री के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में रहेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को मंत्री, वन, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन, श्रम, कौशल विकास एवं सेवायोजन, आयुष एवं आयुष शिक्षा तथा ऊर्जा विभाग डॉ. हरक सिंह रावत को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त करने का प्रस्ताव भेजा था। जिसे राज्यपाल  स्वीकृत प्रदान करते हुए डॉ. हरक सिंह रावत को आवंटित विषय, विभाग अग्रिम आदेशों तक मुख्यमंत्री को अतिरिक्त प्रभार के रूप आवंटित करने का अधिसूचनावों को अनुमोदित करने के आदेश कर दिए हैं। इसके तहत अधिसूचना संख्या-2/2/xx1/2021, 06 जुलाई 2021 एवं समसंख्यक अधिसूचना, 11 अक्टूबर, 2021 तदनुसार संशोधित समझी जाएगी।
बताया जाता है कि डॉ हरक सिंह रावत अपने जिद पर अड़े हुए थे। वे अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिलाने से कम पर मानने को तैयार नहीं थे। इन्हें मनाने के लिए भाजपा ने वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने मनाने का भरसक प्रयास किया। केंद्रीय नेताओं ने उनसे बात की, लेकिन हरक जिद पर अड़े रहे। वे कांग्रेस में जाने का मन बना चुके थे। आखिरकार पार्टी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं। भाजपा से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले हरक सिंह बसपा, कांग्रेस होते हुए 2016 में जब भाजपा में वापसी की तो कई राजनीतिक पंडित का मानना था कि अब वे ''कमल'' का होकर रहेंगे, लेकिन वे अपने मन मिजाज के मुताबिक यहां भी स्थिर नहीं रहे। वे कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते रहे। सिर्फ इसलिए कि सरकार पर उनका दबदबा बना रहे।
राज्य आंदोलनकारी एवं वरिष्ठ पत्रकार दाता राम चमोली बताते हैं, ''हरक सिंह एक घर में रहने वाले नेता नहीं हैं। वे जहां रहते हैं, अपना दबाव बनाकर रखना चाहते हैं। भाजपा में आने के बाद शुरू से ही वे सरकार पर दबाव बनाने में लगे थे, लेकिन उनकी दाल नहीं गल रही थी। इसीलिए वे समय-समय पर अपनी ही सरकार के खिलाफ बयान देते रहते थे। यदि भाजपा उन्हें बर्खास्त नहीं करती तो वे कांग्रेस में खुद वापसी कर लेते।
x

No comments:

Post a Comment

Popular Posts