- नियमित उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाती है टीबी - टीबी के लक्षण आने पर जांच अवश्य कराएं हापुड़, 07 जनवरी, 2022। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत जनपद में “आईकोनिक वीक ऑफ हेल्थ” मनाया जा रहा है। शासन के निर्देश पर क्षय रोग विभाग भी राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्तर पर लोगों को क्षय रोग के प्रति जागरूक कर रहा है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डा. प्रवीण शर्मा ने शुक्रवार को बताया “आईकोनिक वीक ऑफ हेल्थ” के अंतर्गत क्षय रोग के बारे में आमजन को जागरूक किया जा रहा और साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश सिंह बताया शासन से मिली गाइड लाइन के मुताबिक जिले में क्षय रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। डीटीओ डा. सिंह ने बताया- क्षय रोग विभाग का प्रयास है कि प्रधानमंत्री ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है, मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री के इस संकल्प की जानकारी जन-जन तक पहुंचे, ताकि लोग क्षय रोग, उसके लक्षण और उपचार के प्रति जागरूक हों और विभाग को लक्ष्य पूरा करने में मदद मिले। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन के तहत लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का ही असर है कि 2021 में 2020 के मुकाबले क्षय रोग के अधिक मरीज ढूंढे जा सके। इसके लिए विभाग समय-समय पर एक्टिव केस फाइडिंग (एसीएफ) चलाता है। डीटीओ ने बताया जनपद में 2020 में जहां विभाग ने 2400 क्षय रोगी चिन्हित किए वहीं 2021 में यह संख्या बढ़कर 2909 हो गई। हालांकि निजी क्षेत्र में 2020 के 700 क्षय रोगियों के सापेक्ष 2021 में कुल 492 रोगी ही नोटिफाई किए गए। विभाग लगातार निजी चिकित्सकों का संवेदीकरण कर यह प्रयास करता है कि निजी चिकित्सक क्षय रोगियों को नोटिफाई करने में विभाग की मदद करें। इससे लिए निजी चिकित्सकों को सरकार प्रति मरीज पांच सौ रुपए का भुगतान भी करती है। डीटीओ ने बताया दो सप्ताह से अधिक खांसी रहना, बलगम के साथ खून आना, बुखार रहना, रात में पसीना आना और थकान रहना, टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण होने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की निशुल्क जांच कराएं। टीबी की पुष्टि होने पर क्षय रोग विभाग निशुल्क उपचार करता है। विभाग के पास टीबी के उपचार के लिए अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं और रोगी के घर से दो किमी के अंदर ही उपचार उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने बताया टीबी की दवा कम से कम छह माह तक खानी पड़ती है। उसके बाद जांच के जरिए चिकित्सक यह बताते हैं कि दवा आगे जारी रखने की जरूरत है या नहीं। एक बार दवा शुरू होने के बाद चिकित्सक की सलाह पर ही दवा बंद करें। पूरा उपचार लेने पर टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। लेकिन, चिकित्सक के परामर्श के बिना बीच में उपचार छोड़ने पर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी होने का खतरा रहता है। उस स्थिति में उपचार थोड़ा मुश्किल हो जाता है। डीटीओ ने बताया क्षय रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है, इसलिए उन्हें प्रोटीन युक्त पोषक भोजन लेने की जरूरत होती है। भारत सरकार की ओर से क्षय रोगियों के बेहतर पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान उनके खाते में किया जाता है। जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने बताया क्षय रोग की जल्दी पहचान और उपचार से ही क्षय उन्मूलन संभव है। उपचार के लिए देर होने पर रोगी के संपर्क में रहने वाले अन्य लोगों को भी संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए लक्षण पहचान कर जांच के लिए टीबी केंद्र तक लाने वाले को भी टीबी की पुष्टि होने पर पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाता है।
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