राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत- तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक  इंद्रेश कुमार  के मार्गदर्शन में संचालित मंच के कार्यकर्ता पूरे देश में अतीत का पुराना गौरव वापस  दिलाने के लिए सांसदों, अन्य जन प्रतिनिधियों एवं सक्षम अधिकारियों को ज्ञापन देकर  उस संकल्प को याद दिलाने का कार्य कर रहे हैं, जिसके तहत संसद के दोनों सदनों में यह संकल्प लिया गया था कि 1962 के युद्ध में चीन द्वारा भारत की कब्जा की गई भूमि को भारत किसी भी कीमत पर वापस लेगा l विदित है कि 20 अक्टूबर 1962 को धूर्त चीन ने भारत पर आक्रमण करके बहुत बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था l इसी दौरान 14 नवंबर 1962 को  भारत की संसद के दोनों सदनों ने संयुक्त रूप से संकल्प लिया था कि चीन द्वारा भारत की कब्जायी हुई भूमि को वापस लेकर रहेंगे किंतु दुर्भाग्यवश आज तक उस संकल्प को कार्य रूप नहीं दिया गया l उसी संकल्प को याद दिलाने का कार्य मंच के कार्यकर्ता प्रति वर्ष करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि हमें अपनी सरकार को वह दिन याद दिलाना है और एक बार फिर से संकल्प लेना है l इस निमित्त भारत- तिब्बत सहयोग मंच द्वारा इस दिन को "संकल्प स्मरण दिवस" के रूप में मनाकर अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है l
मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री पंकज गोयल का कहना है कि धूर्त चीन से जमीन वापस लेने का कार्य सिर्फ यही सरकार कर सकती है, क्योंकि यह सरकार देशभक्तों एवं राष्ट्रवादियों की सरकार है l राष्ट्रवादियों के मन में हमेशा यही भाव रहता है कि
*देश हमें देता है सब कुछ, 
हम भी तो कुछ देना सीखें l
इसके साथ- साथ यह भी भाव रहता है कि
*तेरा वैभव अमर रहे मां, 
हम दिन चार रहें या न l
जाहिर सी बात है कि जिन लोगों की ऐसी सोच और विचार होंगे, उसी से उस संकल्प को पूरा करने की उम्मीद की जा सकती है l श्री पंकज गोयल का स्पष्ट रूप से मानना है कि विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता माननीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 14 नवंबर 1962 का संकल्प अवश्य पूरा होगा l मंच के कार्यकर्ताओं को इस बात का पूर्ण रूप से विश्वास है l
श्री गोयल का कहना है कि मंच के कार्यकर्ता अपने अतीत के गौरव को वापस लाने के लिए जिस प्रकार परिश्रम कर रहे हैं, उससे सरकार को निश्चित रूप संकल्प को पूरा करने के लिए आगे आना ही होगा l ऐसा एक न एक दिन होकर ही रहेगा l आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि मंच के कार्यकर्ता बिना रुके, बिना थके और बिना झुके अपने मिशन में लगे रहें l मंच के कार्यकर्ता एक दिन उस कहावत को चरितार्थ करने में कामयाब होंगे कि -
दुनिया है झुकती, झुकाने वाला चाहिए l
इसी दृढ़ संकल्प एवं विश्वास के साथ सतत आगे बढ़ते रहना हैl

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