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प्रो. नंदलाल मिश्रा

आज के समय में वैज्ञानिक विकास के साथ साथ चिकित्सा जगत में भी काफी उन्नति हुई है। व्याधियां भी नए-नए तरह की जन्म ले रही हैं। कोरोना जैसे व्याधि की कल्पना किसी ने नहीं की होगी। हाँ, हम लोग बड़े बुजुर्गों से हैजा, प्लेग जैसी बीमारियों के बारे में सुना करते थे। मलेरिया, टायफॉइड, चेचक जैसी बीमारियों का सामना तो हम लोग कर ही रहे हैं। खान-पान,रहन-सहन और आधुनिक बदलाव ने अनेक बीमारियों को जन्म दिया है।



 आज का मानव भी पहले के मानवों से भिन्न है। आज मस्तिष्क के अधिकाधिक विकास पर बल दिया जा रहा है। उसकी तुलना में शारीरिक विकास पर उतना जोर नहीं है। शारीरिक श्रम वही लोग कर रहे हैं जो मस्तिष्क का अधिक उपयोग नहीं कर पाते या उनमें उतनी क्षमता नहीं होती। मजदूर वर्ग से लेकर उच्च आर्थिक स्तर के लोग अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं और दे भी रहे हैं। ऐसे में शारीरिक श्रम बहुत कम हो गया है। लोग मशीनों का अधिक से अधिक उपयोग करने लगे हैं। शारीरिक श्रम कम करना पड़े इसके लिए नए नए औजार बाजार में उपलब्ध हैं।
पहले घर की महिलाएं गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, चावल, दाल इत्यादि को घर में ही खाने लायक तैयार करती थीं। घर में चक्की से आटा बनाना, दाल बनाना इत्यादि काम स्वयं करती थीं। अब सभी कुछ मिक्सी ग्राइंडर जूसर मिक्सर इत्यादि के माध्यम से कार्य हो रहे हैं। मेहनत करने के कार्य ही समाप्त हो गए। परिणामतः बीसों तरह की बीमारियां महिलाओं में पनप रही हैं।आजकल महिलाओं में यूटरस संबंधी बीमारियां ज्यादा ही देखने को मिल रही है। वही स्थिति कमोवेश पुरुष वर्ग में भी है। अधिकाधिक लोग उस तरह का कार्य अधिक पसंद करते हैं जिनमें शारीरिक श्रम कम हो।
यहां मैं जिस बीमारी को लेकर चर्चा कर रहा हूँ उसका कोई कारण नही है और लाखों लोग उसके शिकार हैं उसे हाइपो कांड्रियासिस कहा जाता है। हमारे एक पड़ोसी थे जो एक हॉस्पिटल में फार्मासिस्ट थे। अचानक उनके रोने की आवाज आती थी। कभी कभी अकेले में सिर गड़ाकर घंटो बैठे रहते थे। पूछने पर बताते थे कि उन्हें एक ऐसी गंभीर बीमारी हो गयी है जो लाइलाज है। जबकि उन्हें कोई बीमारी थी नहीं। उन्हें भ्रम था कि उनको कोई बीमारी है।
आज असंख्य लोग ऐसे हैं जो इस भ्रम में जीते हैं कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है। जबकि आम आदमी को गैस कब्ज और वात पित्त कफजनित बीमारियां अधिक हो रही हैं। गैस की अधिकता हो जाने पर उल्टे सीधे खयाल आते हैं और लोगो को लगता है कि उन्हें किसी बीमारी ने घेर रखा है। उल्टी आना जी मिचलाना चक्कर आना उल्टे सीधे पाँव पड़ना इत्यादि गैस के कारण भी होते हैं।ऐसे में यह सोचकर परेशान होना की उन्हें कोई गंभीर बीमारी है रोगभ्रम का ही लक्षण है।
यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार छह माह तक यह बात करता रहे कि उसे किसी बीमारी ने घेर रखा है और वास्तव में उसे कोई रोग न हो तो समझिए कि वह हाइपो कांड्रियासिस का शिकार है। ऐसे लोगों में सिरदर्द, कब्जियत, बैक पेन, जोड़ों का दर्द आम बात होती है। स्वास्थ्य की चिंता इतनी बढ़ जाती है कि उसे बिना बीमारी के भी बीमारी हो जाती है।इसलिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक तो रहिये पर इतना जागरूक मत हो जाइए कि वह आपके लिए घातक हो जाए।
दुनिया में कोई ऐसा धन नहीं है जो स्वास्थ्य की बराबरी कर सके। यदि आप स्वस्थ हैं तो सभी संसाधनों का उपभोग आनंद पूर्वक कर सकते हैं। इसलिए शारीरिक श्रम अनिवार्यतः करिए यदि स्वस्थ रहना है तो। अन्यथा रोगभ्रम के वशीभूत होकर इस डॉक्टर और कभी उस डॉक्टर के सहारे जीवन को विवशतापूर्वक ढोने को आप बाध्य होंगे।
(महात्मा गांधी चित्रकूट विश्वविद्यालय चित्रकूट)

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