नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व' के मौके पर शुक्रवार को झांसी (उत्तर प्रदेश) में तीनों सेनाओं को देश में ही डिजाइन और विकसित हथियार सौंपे। इसमें सबसे प्रमुख स्वदेश निर्मित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) है। उन्होंने स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 400 करोड़ रुपये की उत्तर प्रदेश रक्षा उद्योग गलियारा परियोजना का भी शिलान्यास किया। यह परियोजना भारत डायनेमिक लिमिटेड को सौंपी गई है। इसके अंतर्गत टैंकरोधी लक्षित मिसाइलों का उत्पादन संयंत्र तैयार किया जाएगा।
'आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह के हिस्से के रूप में यह पर्व उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर आयोजित किया गया। समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लंबे समय से भारत को दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदार देशों में गिना जाता रहा है लेकिन आज देश का मंत्र 'मेक इन इंडिया-मेक फॉर वर्ल्ड' है। आज भारत अपनी सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहा है। आज हमारी सेनाओं की ताकत बढ़ने के साथ ही भविष्य में देश की रक्षा के लिए सक्षम युवाओं के लिए जमीन भी तैयार हो रही है। इसी मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश को आश्वस्त किया कि वह दिन जल्द आएगा, जब 90 प्रतिशत रक्षा उपकरण भारत में बनेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय वायु सेना के प्रमुख वीआर चौधरी को हल्के वजन वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर का मॉडल सौंपा। एलसीएच दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो हथियारों और ईंधन के काफी भार के साथ 5,000 मीटर (16,400 फीट) की ऊंचाई पर लैंडिंग और टेक ऑफ कर सकता है। हेलीकॉप्टर 20 एमएम बुर्ज गन, 70एमएम रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम, एयर टू ग्राउंड और एयर टू एयर लॉन्चिंग मिसाइल सिस्टम से लैस है। एलसीएच दो इंजन वाला हेलीकॉप्टर 5-8 टन वर्ग का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है। एलसीएच में प्रभावी लड़ाकू भूमिकाओं के लिए उन्नत तकनीकों और चुपके सुविधाओं को शामिल किया गया है। इसे दुश्मन की वायु रक्षा, काउंटर विद्रोह, खोज और बचाव, टैंक विरोधी, काउंटर सर्फेस फोर्स ऑपरेशंस इत्यादि जैसी भूमिकाओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह को एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट 'शक्ति' सौंपा। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की हैदराबाद में स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएलआरएल) ने डिजाइन और विकसित किया है। यह प्रणाली भारतीय नौसेना की पिछली पीढ़ी के ईडब्ल्यू सिस्टम की जगह लेगी। मिसाइल हमलों के खिलाफ भारतीय नौसेना के जहाजों की रक्षा के लिए इस सिस्टम को वाइडबैंड इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स (ईएसएम) और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेजर (ईसीएम) के साथ एकीकृत किया गया है। शक्ति ईडब्ल्यू प्रणाली समुद्री युद्ध के मैदान में आधुनिक रडार और जहाज-रोधी मिसाइलों के खिलाफ रक्षा की एक इलेक्ट्रॉनिक परत प्रदान करेगी। पहली शक्ति प्रणाली आईएनएस विशाखापत्तनम पर स्थापित की गई है और इसे स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत पर भी स्थापित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल चंडी प्रसाद मोहंती को स्वदेश में विकसित 'स्विच 1.0 यूएवी' ड्रोन सौंपा। लगभग 2 घंटे की सहनशक्ति वाला स्विच 1.0 यूएवी भारत की सीमाओं पर दिन और रात की निगरानी के लिए कठोर वातावरण और उच्च ऊंचाई के तहत भारतीय सेना के सबसे अधिक मांग वाले निगरानी अभियानों का समर्थन करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेश में विकसित 'एमआर-20' हेक्साकॉप्टर ड्रोन भी सौंपा। इससे आगे के क्षेत्रों में ऊंचाई पर तैनात सैनिकों के लिए भोजन, आवश्यक वस्तुओं, आपातकालीन चिकित्सा सहायता, गोला-बारूद और हथियारों की 20 किलोग्राम तक की आपूर्ति की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि भारत का ड्रोन उद्योग सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक समाधान विकसित करने पर काम कर रहा है।

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