वर्तमान दौर में मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां

डा.जगदीश सिंह दीक्षित
जैसे-जैसे भौतिकता और आधुनिकता बढ रही है वैसे-वैसे लोगों में तनाव व चिंता भी तेजी से बढ रही है। इस चिंता व तनाव के कारण व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है । कोरोना वायरस के प्रकोप बढ़ने के बाद से तो और भी खतरनाक स्थिति उत्पन्न हुई है। जो लोग इस महामारी के कारण बीमार हुए उनके मानसिक स्वास्थ्य में और भी गिरावट आई है।जिन परिवारों ने अपने अनन्य लोगों को इस दौर में खो दिया उनकी मानसिक स्थिति और भी खराब हुई है । जिन लोगों का नौकरी या रोजगार छिन गया। खेती-बारी जिनकी चौपट हो गयी या जो मध्यम वर्ग या फिर समान्य वर्ग के लोग हैं जो बढ़ती बेतहाशा मँहगाई से परेशान हैं। ऐसे लोगों में भी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं देखने को मिल रही हैं।



मानसिक स्वास्थ्य से आशय यह है कि व्यक्ति में किसी भी तरह की मानसिक विकृति न हो। वह किसी भी परिस्थिति में स्वस्थ समायोजन कर सके। मानसिक रूप से जो लोग स्वस्थ होंगे उनमें कुछ इस तरह की अनुक्रियायें देखने को मिलेंगी-अपने आपको और दूसरों को पूर्ण रूप से स्वीकार करना । सहजता, सृजनात्मकता, नवीन दृष्टिकोण, स्वस्थ हास परिहास। स्वस्थ प्रतिक्रियाएं, समस्यायों को समझने की योग्यता, निर्णय लेने की योग्यता, समाधानपरक दृष्टिकोण, बेहतर जीवन की गुणवत्ता, सांवेगिक परिपक्वता, संवेदनशीलता, दूसरों के दृष्टिकोण को भी महसूस कर पाना, संवेगों पर प्रभावशाली नियन्त्रण, दूसरों के साथ शांतिपूर्ण संबंध।वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए रचनात्मक और सृजनात्मक योगदान।
जो लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ या बीमार होते हैं ऐसे लोग-अक्सर बिना किसी कारण के  हंसते रहते हैं । बिना किसी कारण के अत्यधिक रोते रहते हैं। ऐसे लोगों को भूख कम लगती है। हर समय बात-बात पर चिढ़ना। जरूरत से ज्यादा बोलना। अकारण चुप हो जाना। निरर्थक संवाद। अत्यधिक थकान महसूस करना। इनमें से यदि कोई भी लक्षण किसी भी व्यक्ति में बहुत दिन तक दिखाई दे तो उन्हें मानसिक परामर्शदाता के पास ले जाकर दिखा देना चाहिए ।
मानसिक स्वास्थ्य को विशेष रूप से-व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य जब अच्छा होता है तब उसमें- चिंता, संघर्ष, विरोधाभास आदि नकारात्मक तत्व नहीं होते हैं। जब किसी भी व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तब उसका निश्चित रूप से मानसिक स्वास्थ्य भी उत्तम होगा। जब कोई भी व्यक्ति वास्तविकता से हट कर कल्पना की दुनिया में विचरण करने लगता है तब ऊसमें धीरे-धीरे सान्वेगिक अनियन्त्रण, चिड़चिड़ापन आदि लक्षण विकसित होने लगते हैं। जब असामाजिक परिवेश होता है तब भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब होने लगता है। जब समय-समय पर स्वस्थ मनोरंजन की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती हैं तब भी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है ।  
मानसिक बीमारियों से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि हमेशा निरोधात्मक उपायों का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है। बचपन से ही उचित मातृत्व व पितृत्व देखरेख व्यक्ति को मिलना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति में माता-पिता के अलावा शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति के लिए-रचनात्मक कार्य, स्व संतुष्टि, समाजिक सरोकार में भागीदारी होना काफी लाभदायक है। निर्धनता अर्थात् निम्न सामाजिक- आर्थिक स्तर, तलाक जैसी स्थितियों में अक्सर मानसिक अवसाद की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। ऐसी स्थितियों से बचने की जरूरत होती है । मानसिक रोगियों के साथ हमेशा सहानूभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए ।उनके साथ स्नेह और समाज व समुदाय के मूल्यों के अनुरूप व्यवहार समाज के लोगों को करना चाहिए। कभी-कभी उचित यौन शिक्षा न मिलने के कारण भी  व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में मतभेद उत्पन्न होने लगते हैं । ऐसे लोगों के लिए यौन शिक्षा आवश्यक होती है। इससे उनके मनोवृतियों में परिवर्तन करके उनके मूल्यों में परिवर्तन लाया जा सकता है।
- प्रोफेसर (रिटायर्ड) टीडी डिग्री कालेज, जौनपुर।

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