नई दिल्ली।
कौन कहता है दिव्यांग कुछ नहीं  कर सकते है। इस बात  को भारतीय सेना के दिग्गजों से प्रशिक्षित 08 दिव्यांगों की उस टीम झुठला दिया  है।  जिसने आखिरकार 13 दिनों के भीतर सियाचिन ग्लेशियर की 15,632 फीट ऊंची चोटी पर पहुंचकर विश्व रिकॉर्ड बना डाला। एक मंजिल पाने के बाद अब यही टीम मालदीव के खुले समुद्र में स्कूबा डाइव करने और दुबई में पैरा जम्पिंग करने के दो और विश्व रिकॉर्ड बनाने का जज्बा पूरा करेगी।

ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम के तहत 08 दिव्यांगों की इस टीम ने सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई मापने, मालदीव के खुले समुद्र में स्कूबा डाइव करने और दुबई में पैरा जम्पिंग करने के ट्रिपल एलीमेंटल वल्र्ड रिकॉड्र्स बनाने लक्ष्य तय किए थे। इसके लिए भारत सरकार ने हाल ही में दिव्यांगों की इस टीम का नेतृत्व करने के लिए श्श्कॉन्कर लैंड एयर वाटरश् सीएलएडब्ल्यू को मंजूरी दी थी।

अपना पहला वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए टीम ने 1 सितम्बर को सियाचिन बेस कैंप से चढ़ाई शुरू की थी। चढ़ाई के दौरान टीम ने अभूतपूर्व धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ तेजी से बदलते मौसम की चुनौतियों, ग्लेशियर की हवाओं, चिलचिलाती धूप और हड्डियों को जमा करने वाली ठंड का सामना किया। ग्लेशियर की गहरी दरारों, बर्फीले हिमनदों की जलधाराओं ने टीम के सदस्यों की शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति का परीक्षण करते हुए विशेष रूप से दृष्टिबाधित और पैर के विकलांगों को चुनौती दी।

ट्रिपल वल्र्ड रिकॉड्र्सअभियान के लिए दिव्यांगों की इस टीम को भूमि, वायु और जल प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी भारतीय सशस्त्र बलों के दिग्गजों के समूह सीएलएडब्ल्यू ने ली है। समूह के सदस्यों ने तीनों विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए टीम को स्काई डाइविंग, स्कूबा डाइविंग और पर्वतारोहण में प्रशिक्षित किया है। सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ाई शुरू करने का प्रशिक्षण देने के लिए पहले 20 दिव्यांगों को चुना गया जिसके बाद अंतिम अभियान दल में 08 दिव्यांगों सहित टीम को रवाना किया गया। सियाचिन बेस कैंप से करीब 15,632 फीट की ऊंचाई पर स्थित कुमार पोस्ट तक ट्रेकिंग करने में इस टीम को 13 दिन का समय लगा।

दिव्यांगों की टीम का नेतृत्व करने वाले पूर्व पैरा अधिकारी मेजर विवेक जैकब ने कॉन्कर लैंड एयर वाटर सीएलएडब्ल्यू की स्थापना की है जो दिव्यांगों को इस चुनौती भरे कार्य को संभव बनाने में मदद कर रही है। इस संस्था में भारतीय सेना के विशेष बलों के दिग्गजों को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाने वाला सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे कठोर इलाकों में से एक है। वहां का तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है। सियाचिन ग्लेशियर हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित हैए जहां भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है।

पूर्व पैरा अधिकारी मेजर विवेक जैकब ने बताया कि सियाचिन ग्लेशियर पर पहुंचने का रिकॉर्ड बनाने के बाद अब दिव्यांगों की टीम का अगला लक्ष्य मालदीव के खुले समुद्र में स्कूबा डाइव करके एक और रिकॉर्ड बनाने का है। इसके बाद वे दिसम्बर तक दुबई में पैरा जम्पिंग करके तीसरा विश्व रिकॉर्ड बनाएंगे।


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