साजिश के तहत तोड़े गए सीसीटीवी कैमरे
नई दिल्ली (एजेंसी)।उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने हिंसा से संबंधित जमानत के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि यह हिंसा एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। यह अचानक ही नहीं भड़क गई, बल्कि इसे सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया था।
अदालत ने स्पष्ट कहा कि इस साजिश का मकसद दिल्ली की कानून व्यवस्था को बिगाड़ना था। मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि दंगों के दौरान सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्थित रूप से तोड़फोड़ भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पहले से की गई साजिश का हिस्सा थी।
दरअसल जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की कथित हत्या से संबंधित मामले में एक आरोपी मोहम्मद इब्राहिम द्वारा दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस इलाके में हत्या की इस घटना को अंजाम दिया गया, वहां बेहद सुनियोजित ढंग से पहले सीसीटीवी कैमरों के कनेक्शन काटकर उन्हें क्षतिग्रस्त किया गया, उसके बाद भारी संख्या में दंगाईयों ने लाठी, डंडों और अन्य हथियारों से कांस्टेबल रतन लाल पर हमला बोल दिया।
इसके साथ ही उन्होंने इब्राहिम की जमानत अर्जी खारिज कर दी और कहा कि जिस वीडियो में याचिकाकर्ता तलवार चलाते हुए नजर आ रहा है, वह उसे हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त है। अदालत के पास मौजूद सबूतों के आधार पर इब्राहिम को कई सीसीटीवी फुटेज में तलवार चलाते हुए चिन्हित किया गया है।

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