फूल सहम जाता है
टूटने के डर मात्र से
यदी उससे प्रेम है तो
उसे कभी तोड़ना मत
या टूटने मत देना
बागबान ने बडी़ मेहनत से
उसे सँवारा होता है।
आत्मीयता का जल देना उम्रभर
बस इतना भर करना
ज्यादा कुछ चाहत नहीं हैं
फिर बस महकते हुए देखना उसे
जो तुम्हारे घर आँगन की रौनक बनकर
रहता है और फिर एक दिन सुकून से
खुशी खुशी मुरझाते हुए भी
तुम देखना उसे
बिना उफ्फ तक किए
सुकून इस बात का लिए मन में
की जीवन भरपूर जी लिया है।
उम्र पूरी करके उसने
और तुम्हारी देहरी की
सदैव शोभा बढा़कर
जिए हुए जीवन की
सार्थकता का वरण कर लिया है
ठीक वैसे ही जैसे गहरी नींद में
एक सुहागिन का मृत देह
धरती की गोद में लिपटकर
आत्मिक शांति की अनुभूति करता हुआ
वीलीन होता है पंच तत्वों में।।
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- दिव्या सक्सेना
श्री कृष्णा कालोनी,
सिकंदर कम्पू, लश्कर
ग्वालियर(म.प्र)


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