Meerut
-एक देश एक कानून” Uniform Civil Code की मांग को जनआन्दोलन बनाने के उद्देश्य से  महानगर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुशील कुमार सूरी द्वारा आयोजित “भारत जोड़ों आंदोलन” कार्यक्रम मे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ट अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने आई.आई.एम.टी. कॉलेज माल रोड मेरठ के सभागार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गणमान्य चिकित्सक, व्यापारी, अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। 
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु गोयल ने किया एवं अध्यक्षता व्यापारी नेता विपुल सिंघल ने की मंचासीन अतिथिगण अरुण जिंदल, डॉ. जे.वी. चिकारा, गौरव सिंह ने अपने विचार रखे। 
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सुशील कुमार सूरी ने बताया की वर्ष 2014 में देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों मे आने के बाद देश की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो रहा है ऐसे में “यूनिफॉर्म सिवल कोड” भी अतिशीघ्र लागू किया जाना चाहिए, एक चिकित्सक होने के नाते चिकित्सा शास्त्र का तो गूढ ज्ञान प्राप्त कर लिया है परंतु 77 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव में देश के संविधान मे समाहित अंग्रेजों के जमाने के खराब कानूनों को बदलने की आवाज बनकर देशसेवा करना चाहता हूँ इसीलिए संविधान में समाहित कानूनों को समझने हेतु अश्विनी उपाध्याय जी को मेरठ आमंत्रित किया गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु गोयल ने कहा कि 2014 से पहले तक हम देशवासियों की मनोदशा ऐसी थी जिसमे हम बहुत सारी समस्याओं को सिर्फ यह कहकर छोड़ दिया करते थे कि “भारत है - यहाँ तो सब ऐसे ही जुगाड़ से चलता है” ! वर्ष 2014 मे देश मे पहली बार नरेंद्र मोदी  के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली राष्ट्रवादी भाजपा सरकार का उदय हुआ जिसने अपने पहले कार्यकाल मे एक नारा दिया “मेरा देश बदल रहा है - आगे बढ़ रहा है” यह कोई नारा नहीं है यह एक राष्ट्रवादी सरकार की प्रतिबद्धता है और हम सबने देखा की किस प्रकार नोटबंदी, डिजिटल पेमेंट, गरीब स्वर्णों के लिए आरक्षण, आतंकवाद पर ज़ीरो टोलरेंस, स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत  तथा दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में ही धारा 370 की समाप्ति, नागरिकता संशोधन कानून, स्पष्ट विदेश नीति, तीन तलाक, 800 साल पुराने श्री राम मंदिर विवाद का संवैधानिक रूप से निपटारा इत्यादि आदि शामिल हैं। ऐसे में देश की आम जनता मे एक उम्मीद ने जन्म लिया कि देश मे आमूल चूल परिवर्तन अगर कोई कर सकता है तो वो सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की सरकार के शासन मे संभव है। आज का यह आयोजन उसी उम्मीद का एक प्रतिबिंब है।          
मुख्य वक्ता अश्विनी उपाध्याय ने देश मे व्याप्त निचले स्तर के भ्रष्टाचार के प्रति अपनी चिंता जताते हुए कहा कि कोई भी थाना और ब्लॉक भ्रष्टाचार मुक्त नहीं है. कोई भी तहसील और जिला भ्रष्टाचार मुक्त नहीं है. कोई भी सरकारी विभाग और सरकारी योजना भ्रष्टाचार मुक्त नहीं है. कोई भी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और हाईकोर्ट भ्रष्टाचार मुक्त नहीं है. सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल बदहाल है. सड़क हर साल बनती है और हर साल टूटती है. नाला हर साल साफ होता है और हर साल जाम होता है. गंगा जी को साफ करने के नाम पर खजाना साफ हो गया. गरीबों को दिए जा रहे मुफ्त गैस सिलिंडर और शौचालय में कमीशनखोरी होती है. कोटेदार गरीबों के मुफ्त राशन में मिलावटखोरी मुनाफाखोरी और घटतौली करता है.
घर परिवार समाज और देश की 50% समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है और ED, CID, CBI, CVC, पुलिस, लोकपाल, लोकायुक्त, इनकम टैक्स और क्राइम ब्रांच के सहारे भ्रष्टाचार कभी भी समाप्त नहीं होगा
सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में घूसखोरी, कमीशनखोरी, जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावटखोरी, मानव तस्करी, नशा तस्करी, टैक्सचोरी, कालाबाजारी, कामचोरी, हरामखोरी, हवालाबाजी, कबूतरबाजी, जालसाजी, घटतौली, धोखा, फरेब और नक्काली बंद हो जाएगी
अश्विनी उपाध्याय ने बताया देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र लिख चुके हैं. उनका दावा है कि देश में एक भी जिला भ्रष्टाचार मुक्त नहीं है. इसलिए उपाध्याय ने पीएम मोदी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर और प्रभावी कानून बनाने की मांग निम्न बिंदुओं के आधार पर की है। 
1.घूसखोरी और कमीशनखोरी के कारण सड़कें बार-बार टूट रही हैं, सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल बदहाल हैं, प्राइवेट स्कूल और हॉस्पिटल जनता को लूट रहे हैं, अवैध खनन और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्ज़ा जारी है, नकली आधार कार्ड और फर्जी राशन कार्ड बन रहे हैं, बेकसूर जेल जा रहे हैं और अपराधी जमानत पर छूट रहे हैं. जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, टैक्सचोरी, मानव तस्करी तथा न्याय में देरी और अदालत के गलत फैसलों का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है. अलगाववाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद, अवैध घुसपैठ और पत्थरबाजी का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है. यदि ध्यान से देखें तो हमारी 50% समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है लेकिन आजतक किसी भी भ्रष्टाचारी की 100% संपत्ति जब्त कर उसे आजीवन कारावास की सजा नहीं दी गयी.
2. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया. यदि पिछले 20 साल की रैंकिंग देखें तो 1998 में हम 66वें स्थान पर, 1999 में 72वें स्थान पर, 2000 में 69वें स्थान पर, 2001 और 2002 में 71वें स्थान पर, 2003 में 83वें स्थान पर, 2004 में 90वें स्थान पर, 2005 में 88वें स्थान पर, 2006 में 70वें स्थान पर, 2007 में 72वें स्थान पर, 2008 में 85वें स्थान पर, 2009 में 84वें स्थान पर, 2010 में 87वें स्थान पर, 2011 में 95वें स्थान पर, 2012 में 94वें स्थान पर, 2013 में 87वें स्थान पर, 2014 में 85वें स्थान पर, 2015 में 76वें स्थान पर, 2016 में 79वें स्थान पर, 2017 में 81वें स्थान और 2018 में 78वें स्थान पर थे. इससे स्पस्ट है कि भ्रष्टाचार में कमी नहीं आयी है.
3. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 140वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 93वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 124वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर, आत्महत्या के मामले में 43वें स्थान पर तथा जीडीपी पर कैपिटा में हम 139वें स्थान पर हैं. अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की इस दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी भ्रष्टाचार है. रोटी कपड़ा मकान की समस्या, गरीबी भुखमरी कुपोषण की समस्या तथा वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है और हमारे भ्रष्टाचार-विरोधी कानून बहुत ही घटिया और कमजोर हैं.
4. हमारे पास पुलिस है, क्राइम ब्रांच है, सीबीआई है, ईडी है और इनकम टैक्स विभाग भी है फिर भी 2004-14 में 12 लाख करोड़ रुपये और पिछले 70 साल में 50 लाख करोड़ रूपये का घोटाला हो गया. देश का एक भी थाना, तहसील या जिला भ्रष्टाचार-मुक्त नहीं है और आगे भी ऐसी कोई संभावना नहीं दिखाई देती है. केंद्र और राज्य सरकार का एक भी सरकारी विभाग ऐसा नहीं है जिसके बारे में गारंटी के साथ यह कहा जा सकें कि वह भ्रष्टाचार से मुक्त है और अब तो सुप्रीम के जज भी सार्वजनिक रूप से न्यायपालिका में भ्रष्टाचार स्वीकार करते है. संसद में उड़ती हुयी नोटों की गड्डियां और पैसा लेकर विधान सभा में सवाल पूंछने का मामला भी सबके सामने है, अर्थात भारतीय लोकतंत्र का कोई भी स्तम्भ भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है.
5. हमारे भ्रष्टाचार-विरोधी कानून अमेरिका की तुलना में बहुत कमजोर हैं. 1988 में बनाया गया प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट और बेनामी एक्ट तथा 2002 में बनाया गया मनी लांड्रिंग एक्ट सहित किसी भी कानून में 100% संपत्ति जब्त करने और आजीवन कारावास देने का प्रावधान नहीं है. अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाई गयी भारतीय दंड संहिता, 1861 में बनाया गया पुलिस एक्ट, 1872 में बनाया गया एविडेंस एक्ट, 1882 में बनाया गया प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट, 1897 में बनाया गया जनरल क्लॉज़ एक्ट तथा 1908 में बनाया गया सिविल प्रोसीजर कोड आज भी लागू है. इसलिए आपसे निवेदन है कि 25 साल से अधिक पुराने सभी कानूनों को रिव्यु करने; अपराधियों का नार्को, पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट अनिवार्य करने तथा घूसखोरों, जमाखोरों, मिलावटखोरों, टैक्सचोरों, मानव तस्करों, नशे के सौदागरों, हवाला कारोबारियों तथा कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए संबंधित मंत्रालयों को कानून बनाने का निर्देश दें.
6. आप तो जानते हैं कि 80% भारतीयों को 100रु से बड़ी नोट की जरुरत ही नहीं है और वैसे भी अब हर घर में कम से कम एक डेबिट कार्ड है, इसलिए भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए 100 रुपये से बड़ी नोट बंद करने, 10 हजार रुपये से महँगी वस्तुओं का कैश लेन-देन बंद करने तथा एक लाख रूपये से महंगी वस्तुओं/संपत्तियों को आधार से लिंक करने के लिए संबंधित मंत्रालयों को आवश्यक निर्देश दें. इससे पुलिस, क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभाग का कार्य बहुत आसान होगा तथा घूसखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, टैक्सचोरी, मानव तस्करी, कालाधन, बेनामी संपत्ति के साथ-2 अलगाववाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद और पत्थरबाजी को जड़ से समाप्त करने में अत्यधिक मदद मिलेगी.
सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में भारत में धड़ल्ले से चल रहा धर्मांतरण, घुसपैठ, जासूसी, गद्दारी, कालाजादू, अंधविश्वास, लव जिहाद, जमीन जिहाद, अवैध दरगाह, अवैध मजार, अवैध मदरसा, अवैध आश्रम, अवैध चर्च और अवैध कब्रिस्तान का कारोबार बंद हो जाएगा
जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद, साम्यवाद, मार्क्सवाद, अगड़ावाद, पिछड़ावाद, सवर्णवाद, दलितवाद, समाजवाद, अंबेडकरवाद, अल्पसंख्यकवाद, माओवाद, नक्सलवाद, वंशवाद और परिवारवाद का मुख्य उद्देश्य है सत्ता और सत्ता प्राप्ति का मुख्य उद्देश्य कालाधन बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करना है.
सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में वंशवाद, क्षेत्रवाद, कट्टरवाद, जातिवाद, भाषावाद, माओवाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, परिवारवाद, संप्रदायवाद, अलगाववाद, फर्जी साम्यवाद, फर्जी मार्क्सवाद, फर्जी दलितवाद, नकली गांधीवाद, फर्जी अगड़ावाद, फर्जी पिछड़ावाद, नकली समाजवाद, फर्जी सेक्युलरवाद, नकली अंबेडकरवाद, फर्जी राष्ट्रवाद, फर्जी बहुसंख्यकवाद और फर्जी अल्पसंख्यकवाद भी समाप्त हो जाएगा
सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में समस्त प्रकार का भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त किया जा सकता है. सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में समस्त प्रकार का माफियाराज समाप्त किया जा सकता है. सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में समस्त प्रकार का अलगाववाद समाप्त किया जा सकता है. सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में धर्मांतरण, रोहिंग्या-बंग्लादेशी घुसपैठ और समस्त प्रकार का जिहाद समाप्त किया सकता है
सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में भारत विश्वगुरु बन सकता है. सरकार यदि 5 कदम तुरंत उठा ले तो मात्र 5 साल में रामराज्य पुनःस्थापित किया जा सकता है.

वह पांच कदम है:
सरकार 100₹ से बड़े नोट तुरंत बंद करे
सरकार 5,000₹ से महंगे सामान का कैश लेनदेन बंद करे
50,000₹ से महंगी चल-अचल संपत्ति को आधार से लिंक करे
अंग्रेजों द्वारा बनाये गए सभी कानून तत्काल समाप्त करे और नार्को पॉलीग्राफ ब्रेनमैपिंग कानून बनाये
कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति शतप्रतिशत जब्त करने तथा भ्रष्टाचारियों को आजीवन कारावास देने के लिए तुरंत कानून बनाये
उन्होंने कहा यदि उपरोक्त पांच कदम उठाने के पांच साल के अंदर यदि भारत की 50% समस्याएं समाप्त न हो जाएं तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा।
व्यापारी नेता विपुल सिंघल ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं मेरठ से निकल रही काली नदी के उन्मूलन कार्य मे व्याप्त भ्रष्टाचार का उदाहरण देते हुए कहा कि  कि वर्तमान समय में लागू भ्रष्टाचार विरोधी कानून बहुत ही लचर कमजोर और अप्रभावी है, इसी कारण पिछले कई वर्षों से सरकार द्वारा काली नदी की सफाई हेतु पैसा आवंटित किया जाता है, हर साल नई-नई संस्थाएं काली नदी उन्मूलन के नाम पर आती हैं, सफाई और जीर्णोद्धार की खबरें अखबार व सोशल मीडिया पर वाहवाही लूटती हैं, पर हमारी काली नदी काली ही रह जाती है। उन्होंने कहा की ऐसे अनेकों उदाहरण हर जगह मिल जाएंगे,  कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति की समस्या कम अवश्य हुई हैं परंतु खत्म नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों में अधिकतम सजा मात्र सात साल है. इस कानून में यह भी स्पष्ट नहीं है कि भ्रष्टाचारियों की कितनी संपत्ति जब्त की जाएगी इसीलिए कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति को शत प्रतिशत जब्त करने तथा भ्रष्टाचारियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल कानून बनाना आवश्यक है।
कार्यक्रम में संजय अग्रवाल, विनम्र रस्तोगी, चहन सिंह बालियान, आशीष सिंह, पवन त्यागी, गौरव दत्ता, श्याम कुमार जग्गी, सुरेन्द्र चड्ढा, आशीष अग्रवाल भारत भूषण, मुकेश चौबे, सागर चौबे  आदि ने सहयोग किया।

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