सम्पूर्ण ब्रमहाणङ पंच तत्वो से मिलकर बना है ये पंच तत्व आग ,जल,वायु ,आकाश व पृथ्वी है ।हमारा शरीर भी इन्ही पंच तत्व से मिलकर बना होता है । इन तत्वो का संतुलन ही वास्तु है और असंतुलन ही वास्तु दोष होता है प्रकृति मे इन तत्वो के असंतुलन से प्राकृतिक आपदाये जैसे बाढ ,भूकंप आदि स्थिति उत्पन्न होती है अब इन तत्वो का हमारे शरीर मे क्या स्थान होता है तथा उसका क्या प्रभाव होता है ।  

1....भूमी (पृथ्वी ) ...यह हमारे शरीर के निर्माण मे उन अंगो से जुङी है जो कठोर व भारी है जैसे हङङिया ,दाँत ,मास ,त्वचा , बाल ,आदि। 

2.....आग ....यह हमारे शरीर के निर्माण मे उन अंगो से जुङी है जो तीव्र व गरम प्रकृति के है जैसे शरीर की उष्मा , तापमान ,रंग ,चमक,क्रोध ,साहस आदि।

3....जल ...यह हमारे शरीर के निर्माण मे उन अंगो से जुङी है जो तरल मुलायम ठण्डे और चिकने होते है जैसे रक्त मांसपेशी पित्त मूञ जीभ आदि । 

4.....वायु ..यह हमारे शरीर के निर्माण के लिए अति आवश्यक है जिनकी प्रकृति सुखी व हल्की होती है यह तत्व शरीर की गति से भी जुङा हुआ है यह गति नाङी तंञिका सम्बन्धित गति विधि या सास लेना आखो का खूलना और बन्द होना आदि ।   

5....आकाश ...यह उन तत्वो के निर्माण के लिए जरुरी है जो हल्की व सघन प्रकृति के होते है यह दो अंगो को एक दुसरे से अलग अलग करता है और उनके बीच खुले स्थान का निर्माण करता है जैसे रक्त नलिकाये मांसपेशी उत्तक आदि   

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