...तो दीदी को नहीं मिला साथ लौटी खाली हाथ!
By News Prahari -
- शिव शरण त्रिपाठी
राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद पहली बार लम्बे दौरे पर दिल्ली जिस मकसद से दीदी आई थी वो न केवल बुरी तरह असफल दिखा वरन् उन्हें भविष्य का आइना भी दिखा गया। उन्हें उम्मीद थी कि पश्चिम बंगाल में तीसरी बार सरकार बना लेने व भाजपा को पटखनी देने में सफलता के बाद कांग्रेस सहित सभी विपक्षीदल उन्हे हाथोंहाथ लेंगे पर जब वो पांच दिन में बामुश्किल केवल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी व डीएमके नेताओं से ही मिल सकी तो उन्हें भी समझ में आ गया होगा कि भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता इतनी आसान नहीं है। और यह भी भान हो गया होगा कि कदाचित कोई भी मजबूत दल उन्हे विपक्षी गठबंधन का अगुवा व नेता स्वीकारने को भी तैयार नहीं है।
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