यूपी में ट्रैफिक नियम  तोड़ा, तो AI तुरंत पकड़ेगा

तेज स्पीड, मोबाइल पर बात करना पड़ेगा महंगा, चालान वसूली तेज होगी

 एआई आधारित सड़क सुरक्षा मॉडल का प्रोजेक्ट सफल हुआ तो पूरे देश में लागू किया जाएगा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब एआई का इस्तेमाल सड़क हादसे रोकने के लिए किया जाएगा । इसके लिए कवायद शुरू हो गयी है।  केंद्र सरकार ने इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। यूपी में AI आधारित सड़क सुरक्षा मॉडल का प्रोजेक्ट सफल हुआ, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

 बता दें यूपी में हर महीने 2000 से ज्यादा लोग सड़क हादसे में जान गंवाते हैं। साल-दर-साल ये आंकड़ा बढ़ रहा है। इस साल सिर्फ जून महीने तक 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई है। इन हादसों को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा विभाग और परिवहन विभाग के सारे प्रयास फेल हाे रहे हैं।

किस तरह कार्य करेगा मॉडल् 

यूपी परिवहन विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ITI Limited और वैश्विक टेक-पार्टनर mLogica के साथ मिलकर AI बेस्ड रोड सिक्योरिटी मॉडल तैयार किया है। इसका प्रजेंटेशन केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के सामने दिया गया। इसके बाद यूपी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू करने की इजाजत दी गई। खास बात है कि यह प्रोजेक्ट सरकार के उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए जीरो कॉस्ट पर संचालित होगा। यानी केंद्र सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।

6 सप्ताह में पूरा होगा पहला चरण

पायलट प्रोजेक्ट का पहला चरण 6 सप्ताह का होगा। इस दौरान दुर्घटना रिपोर्ट, मौसम, वाहन टेलीमैटिक्स, ड्राइवर प्रोफाइल और सड़क ढांचे से जुड़े डेटा को इंटीग्रेट कर एक मजबूत AI मॉडल तैयार किया जाएगा। इसका मकसद सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों की पहचान करना, सड़कों पर ब्लैक स्पॉट्स की जानकारी पहले से देना और रीयल-टाइम डैशबोर्ड तैयार करना है।पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद इसे चरणबद्ध तरीके से परिवहन विभाग की सेवाओं में लागू किया जाएगा। इनमें फेसलेस लाइसेंस, परमिट सिस्टम, ई-चालान, राजस्व वसूली और वाहन सारथी प्लेटफॉर्म शामिल हैं।

 एआई सिस्टम परिवहन विभाग की सभी ऑनलाइन सेवाओं के साथ जुड़ा होगा 

इस प्रोजेक्ट के तहत एक ऐसा AI सिस्टम तैयार किया जाएगा, जो परिवहन विभाग की सभी ऑनलाइन सेवाओं के साथ जुड़ा होगा। इन सेवाओं का बारीकी से विश्लेषण करेगा। फेसलेस ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और ऑटोमैटिक किया जाएगा।प्रवर्तन सिस्टम में अब ऐसे नए फीचर जोड़े जाएंगे जो तुरंत धोखाधड़ी पकड़ सकें। गाड़ियों की हालत और स्थिति दिखा सकें। इसके अलावा, यह AI इंजन राजस्व प्रशासन, ई-चालान वसूली और वाहन सारथी डेटाबेस को भी मजबूत करेगा। टैक्स वसूली बढ़ेगी, शुल्क अदायगी से जुड़ी जानकारी और दस्तावेजों की वैधता खत्म होने से पहले अपने आप अलर्ट मिल जाएगा।

तकनीक विभाग के सभी मुख्य कामों में लागू करेंगे

परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह कहते हैं- इस प्रोजेक्ट की खास बात है कि इसमें इंटीग्रेटेड डिजिटल डैशबोर्ड है। ये परिवहन विभाग को आय, नियमों के उल्लंघन और दस्तावेज स्थिति की सभी जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध कराएगा।यह पहल यूपी को डेटा बेस्ड के मामले में काफी आगे ले जाएगी। हम इस AI मॉडल को सड़क सुरक्षा से आगे बढ़ाकर विभाग के सभी मुख्य कामों में लागू करेंगे।

परिवहन आयुक्त ने बताया- ITI-mLogica की टीम को विभागीय आईटी, प्रवर्तन और सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठों के साथ काम शुरू करने की इजाजत दे दी गई है। प्रोजेक्ट पूरा होने पर इसके रिजल्ट की विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय परिवहन मंत्रालय को भेजी जाएगी। इस तकनीक से न सिर्फ हादसे रोकने में मदद मिलेगी, बल्कि डेटा गोपनीयता, कानून का अनुपालन और साइबर सुरक्षा मानकों का निरंतर ऑडिट सुनिश्चित किया जाएगा।

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