देहरादून।  देहरादून का माफिया मनीष वर्मा उसकी पत्नी व भाई पर कानून का शिकंजा कसते ही देहरादून कचहरी परिसर से पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। मनीष वर्मा और उनकी पत्नी ने एसीजेएम तृतीय की कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे जहां पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करते हुए कोर्ट के आदेश पर ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया है। विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में मनीष वर्मा पत्नी व भाई समेत ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने हाजिर हुआ था लेकिन अदालत ने उन्हें आरटीपीआर रिपोर्ट दिखाने को कहा। रिपोर्ट न होने के कारण कोर्ट ने पहले 72 घंटे की रिपोर्ट जमा करने के बाद ही सरेंडर के आदेश दिए। इसके बाद पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई।
सुभारती ट्रस्ट न्यासी डा. अतुल कृष्ण की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ वर्ष 2012 में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट को 100 बीघा जमीन बेचने का अनुबंध किया था, लेकिन मौके पर जमीन केवल 33 बीघा ही पाई गई। ऐसे में उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने करीब 67 बीघा जमीन के कागजात फर्जी दर्शाए थे। इस मामले में डा. अतुल कृष्ण ने लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ते हुए न्याय को प्राप्त किया है। उनका कहना है कि सुभारती ट्रस्ट ने देहरादून में शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र जनमानस के हित में कार्य करने हेतु जमीन खरीदी थी लेकिन अपराधिक प्रवृति के धोखेबाज पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा ने फर्जी कागजों के सहारे जमीन बेच दी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट समेत उत्तराखंड सरकार व न्यायालय का आभार प्रकट करते हुए कहा कि धोखेबाज लोगो की जगह जेल के सलाख़ों में ही है।
 
ज्ञात हो कि धोखाधड़ी के मामले में  सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के क्रम में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 16 अगस्त को मनीष वर्मा उनकी पत्नी व भाई की जमानत रद्द कर दी थी। कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया था। लेकिन 18 अगस्त को जिला एंव सत्र न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगाते हुए उनकी जमानत मंजूर कर ली। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिला एंव सत्र न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी और दो दिन के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने को कहा था।
मनीष वर्मा के गिरफ्तार होने पर देहरादून के बड़े उद्योग घरानों ने राहत की सांस ली है। कई उद्योगपतियों ने नाम न छापने कि शर्त पर जानकारी देते हुए बताया कि मनीष वर्मा लोगो को ब्लैकमेल करके उनसे मोटी रकम की वसूली किया करता था। इसके साथ वह बड़े बड़े रसूखदार लोगो की शाम रंगीन करने के लिये हाई प्रोफाइल जिस्म फरोशी का रैकेट चला कर अवैध रूप से धन की उगाही कर रहा था। मनीष वर्मा की शातिर व अपराधिक करतूतों से देहरादून सहित आस पास के भोले भाले व्यक्तियों व संस्थानों में भय व्याप्त रहने लगा था। मनीष वर्मा के जेल जाने की सूचना पर देहरादून के लोगो ने राहत की सांस लेते हुए उच्चतम न्यायालय व उत्तराखंड सरकार को धन्यवाद दिया है। वहीं गिरफ्तारी के वक्त मनीष वर्मा बेहद तनाव में नजर आ रहा था और बार बार अपना चेहरा छिपाने की कोशिश कर रहा था।

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