जैसे ही ब्रह्मऋषि वशिष्ठ ने विश्वामित्र के भौंहों के मध्य में हाथ रखा, विश्वामित्र की तीसरी आंख खुल गई। विश्वामित्र को अपने सामने अलौकिक प्रकाश नजर आया। उन्हें सात सुर नजर आए, जिनके आधार पर ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। उस समय उनके सामने गायत्री मंत्र का प्रकाश हुआ।
इस एक मंत्र से मिलते हैं अनेक लाभ, 
होने लगता है पूर्वाभास !
मंत्र जप, एक ऐसा उपाय है जिससे किसी भी प्रकार की समस्या को दूर किया जा सकता है। सभी शास्त्रों में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी बताया है। यानी मंत्रों से मनचाही वस्तु प्राप्त की जा सकती है और सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। सबसे ज्यादा प्रभावी मंत्रों में से एक मंत्र है गायत्री मंत्र। इसके जप से बहुत जल्दी शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। इसके नियमित जप से पूर्वाभास हो सकता है।
गायत्री मंत्र
 
 " |||  ऊँ भूर्भुव: स्व: ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि  धियो यो न: प्रचोदयात् ॐ  ||| "

 


 
इस मंत्र के जप के लाभ :
 
यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र का जप नियमित रूप से करता है तो उसे उत्साह एवं सकारात्मकता, त्वचा में चमक आती है, तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में रुचि जागती है, पूर्वाभास होने लगता है, आशिर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्र सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है।
 
मंत्र विद्या का प्रयोग
 
मंत्र विद्या का प्रयोग भगवान की भक्ति, ब्रह्मज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही, सांसारिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं, धन प्राप्त करने की इच्छा के लिए भी मंत्रों का जप किया जा सकता है।
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