’चलो फिर कभी सही’ का हुआ लोकार्पण
- केंद्रीय हिन्दी संस्थान ने आयोजित किया वेबिनार


न्यूज प्रहरी संवाद

नई दिल्ली। केन्द्रीय हिंदी संस्थान, विश्व हिंदी सचिवालय, वैश्विक हिंदी परिवार के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में गीतकार बालस्वरुप राही की पुस्तक ’चलो फिर कभी सही’ का लोकार्पण एवं संवाद कार्यक्रम संपन्न हुआ।
वरिष्ठ लेखक और केन्द्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल जोशी के सानिध्य में हुए कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वरिष्ठ लेखक प्रो. सादिक, प्रख्यात कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी और वरिष्ठ कवि नरेश शांडिल्य थे। केन्द्रीय हिंदी संस्थान की प्राध्यापक डॉ. अपर्णा सारस्वत ने बालस्वरुप राही एवं अन्य सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कथाकार एवं कवियत्री अल्का सिन्हा ने किया।
अनिल जोशी ने कहा कि राहीजी ने अपने स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया। उनके लिए पाठकों का स्नेह सबसे महत्वपूर्ण रहा है। हमारे सामने उनका और उनकी सहधर्मिणी पुष्पा जी का जीवन संघर्ष उत्साहवर्धक, आशा दीप के रुप में अनुकरणीय है।
कार्यक्रम में आकाशवाणी के विख्यात नाटककार, वृत्तचित्र निर्माता एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सादिक ने अतीत में झांकते हुए कहा कि यह देखना कितना सुखद है कि राही जी अपनी ग़ज़लों, गीतों की भावुकता के साथ अभी भी खास हैं, प्रासंगिक हैं। उनकी रचनाओं में दर्द, कसक, ज़ज्बात की गहराई तक गहरी पहुंच है।
वरिष्ठ कवि नरेश शांडिल्य ने पुस्तक के आवरण के लिए पूनम भटनागर की प्रशंसा की और साहित्य अकादमी के सम्मान के लिए राही जी को बधाई दी। प्रसिद्ध रचनाकर लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने कहा कि वे जब कवि सम्मेलनों का संचालन किया करते थे तब उनकी अनेक रचनाओं को सदैव उद्धृत किया करते थे। संचालक अल्का सिन्हा ने राही जी के अनेक शेरों से अपनी बात को आगे बढ़ाया और कहा कि वे बहुत ही सच्ची बात कहते हैं।
कार्यक्रम में कवि बी.एल गौड़, रंजना अरगड़े, पद्मेश गुप्त, डॉ. शैलजा सक्सेना, अनूप भार्गव, संध्या सिंह, प्रेम भाटी ने भी राही जी के साथ अपने संस्मरण साझा किए। वैश्विक हिंदी परिवार के अंतरराष्ट्रीय संयोजक पद्मेश गुप्त ने आभार व्यक्त किया।

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