- जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे तब समझ लेना उसका अन्त हो गया। मैं यद्यपि हिन्दू जाति का नगण्यघटक हूं किन्तू मुझे अपनी जाति पर गर्व है, अपने पूर्वजों पर गर्व है। मैं स्वयं को हिन्दू कहने में गर्व अनुभव करता हूं।
- स्वामी विवेकानन्द - कोमल हृदय वाला समस्त मानवता के दुःख देख कर दुःखी, सुख देखकर सुखी होता है। उसके मन में, व्यवहार में, वाणी में तथा दैनिक कर्म में मृदुता छलकती रहती है। वह प्रत्येक व्यक्ति से प्रीतिपूर्ण मीठी वाणी में बातचीत करता है। अपने जीवन के किसी भी अंग में कठोरता नहीं आने देता। - श्रीराम शर्मा आचार्य जी - जब आपके शरीर के प्रत्येक अंग-संचलन से शांति टपकती है, और जब आपके विचारों में, इच्छाशक्ति में, प्रेम में, शांति होती है; तथा आपकी महत्वाकांक्षाओं में शांति एवं ईश्वर होते हैं, तो समझ लीजिये आपने ईश्वर को अपने जीवन में शामिल कर लिया है। - श्री श्री परमहंस योगानंद
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