लघु उद्योग भारती (खेल व चमड़ा) ने केंद्र सरकार को भेजा ज्ञापन


जालन्धर। केंद्र सरकार द्वारा उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उद्योगों के लिए मानक तय किए जा रहे हैं। एचएसएन चैप्टर 9506 के अंतर्गत आने वाले खेल सामानों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय किए जा रहे गुणवत्ता नियंत्रण मानकों पर लघु उद्योग भारती ने अपनी आपत्ति जताई है। इसमें सुधार के लिए केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है।

इस संबंध में लघु उद्योग भारती पंजाब के अध्यक्ष एडवोकेट अरविन्द धूमल व प्रचार प्रभारी विक्रान्त शर्मा ने बताया कि पिछले दिनों इस संबंध में भारतीय मानक ब्यूरो की राष्ट्रव्यापी वर्चुअल मीटिंग हुई थी, जिसमे लघु उद्योग भारती खेल व चमड़ा यूनिट के अध्यक्ष अरविन्द सिंह राणा ने भी सक्रियता से भाग लिया था। खेल के सामान के बढ़ते आयात को ध्यान में रखते हुए भारत में बने सभी उत्पादों में कुछ मानक तय किए जा रहे हैं। भारतीय उपभोक्ता बाजार में  पारंपरिक खेल सामग्री का निर्माता है, अर्थात क्रिकेट उपकरण, हॉकी, मुक्केबाजी, फुटबॉल और अन्य पारंपरिक खेल और इन खेलों के लिए उपकरण आयात की बजाए भारत से निर्यात किया जाता है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक गेम, जिम उपकरण, फिटनेस उपकरण, और अन्य गैर-पारंपरिक खेल वस्तुओं के आयात के उच्च आंकड़ों को देखते हुए, दोनों श्रेणियों में अंतर रखने की बजाए एक समान मानक तय किए जा रहे है, जो कि न्यायसंगत नहीं है।
उन्होंने बताया कि भारत में खेल के सामान निर्माता (जालंधर और मेरठ) मुख्य रूप से कुटीर उद्योग के माध्यम से करते हैं। इसी कारण खेल उद्योग एक असंगठित क्षेत्र बना हुआ है। इसके लिए क्यूसीओ का पालन करना संभव नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि क्यूसीओ केवल भारत में आयात किए जा रहे खेल सामान की के लिए अनिवार्य होना चाहिए और भारत मे बने सामान के लिए अनिवार्य नहीं होना चाहिए। इससे छोटे कुटीर उद्यमी व स्थानीय निर्माता भी अपने उत्पादों को उचित उपयुक्त बाजार में बेच सकेंगे।
डीपीआईआईटी को 8 अंकों के एचएसएन कोड के आधार पर वास्तविक मूल्य की भी पहचान करनी चाहिए। ताकि वास्तविक डेटा के आधार पर क्यूसीओ लागू किया जा सके और भारतीय उद्यमियों को भी आगे बढऩे का अवसर मिल सके। इस संबंध में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को भी ज्ञापन भेजा गया है। 


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