मेरठ। महाभारतकालीन पांडव टीले पर तक पौराणिक अवशेषों की पोटरी और एक स्थान पर गोलाकर आकृतिनुमा दीवार दिखाई दी है जिसे काफी निखार दिया गया है। पुरातत्वविद इसे मध्यकाल की मान रहे है। बता दें पांडव टीला महाभारतकालीन है तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अंतर्गत संरक्षित है। इस पर पौराणिक अवशेष खोजने और उन्हें निखारने का कार्य चल रहा है। इसमें अभी तक पौराणिक अवशेषों की पोटरीए गोलाकार आकृति और उससे जुड़ी दीवार भी मिली है जिसे निखारने का कार्य चल रहा है। मेरठ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद डीबी गणनायक के निर्देशन में प्राप्त हुए पौराणिक अवशेषों की पोटरी, तांबे के दो सिक्के मिले हैं। गोलाकार आकृति नुमा दीवार दिखाई दी है जो मध्यकाल की प्रतीत होती है। उसे एक मीटर बीस सेमी तक की गहराई तक निखारा गया है। गणनायक का कहना है जो अवशेष प्राप्त हुए हैं उन्हे संरक्षित कर लिया गया है। फिलहाल बरसात के कारण अभी खुदाई करने का कार्य रोका गया है। कौरवों और पांडवों के बीच जिस स्थान पर धू्रत क्रीड़ा हुई थी उसको बाराखंभा के नाम से जाना जाता है। यह कौरवान क्षेत्र में स्थित है। एएसआई मेरठ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डीबी गणनायक का कहना है कि यह पौराणिक स्थल है तथा यहां पर अलंकृत स्तंभ मौजूद हैं।
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