मिलन की रात आई है
जानाँ से बात करनी है
कई वर्षों पुराने दर्द की
दास्ताँ सुनानी है।
मिलन की रात आई है
जानाँ से बात करनी है।
कहीं गुलों से ख़ुशबू तो
कहीं तारे चमकते हैं
मेरी आँखें तेरी दीद के
लिए कितने तरसते हैं।

दिलों की आतिशे-ख़ामोश में
आतिश भरनी है।
मिलन की रात आई है
जानाँ से बात करनी है।
जानाँ तेरे बजुज़ मेरा
यहाँ है कौन सहारा
मेरी पीर मिट गयी जब
मिल गया साथ तुम्हारा।
मेरे दिलों की दुनिया में तुझे
अब सैर करनी है।
मिलन की रात आई है
जानाँ से बात करनी है।
- मो. ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 

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