मेरठ ।कोरोना संक्रमण से शिक्षकों और कर्मियों की मौत को मेडिकल प्रशासन छिपाने में लगा हुआ है। मेडिकल में हुई मौत के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र तो जारी किए जा रहे हैं, मगर मौत के कारण का कॉलम खाली छोड़ा जा रहा है। इसके चलते परिवार के लोगों को परेशानी हो रही है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। इस दौरान काफी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। इनमें कई शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। हाल ही में गुरुकुल डौरली कॉलेज में कार्यरत टिमकिया नेक गांव निवासी प्रमोद कुमार की भी ड्यूटी के बाद संक्रमण से मेडिकल में मौत हो गई थी। इसके बाद परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए मेडिकल के चक्कर लगाते रहे।मृत्यु सूचना में कोविड और निमोनिया दर्शाया गया, मगर जब उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर दिया गया तो मृत्यु के कारण का कॉलम खाली था। एलआईसी से मिलने वाले अनुदान के लिए मृत्यु का कारण जरूरी है। इसका उल्लेख न करने से परिजनों के सामने दिक्कतें आ रही हैं।
 
मृत्यु का कारण डेथ समरी में लिखा जाता है। जिन लोगों को डेथ समरी चाहिए, उनको वह भी दी जा रही है। डेथ सर्टिफिकेट का परफॉर्मा ऑनलाइन है, उसमें जो कॉलम है, वह भरे जाते हैं। उसमें कॉज ऑफ़ डेथ का कॉलम नहीं है। 

डॉ ज्ञानेंद्र कुमार, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज।


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