गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण काल में जहां एक ओर लोगों के ऊपर आफत टूटी है वहीं दूसरी ओर इस संक्रमण में अपने और परायों की पहचान भी बखूबी कराई है। इसी संक्रमण के चलते अस्पताल से ठीक होकर घर पहुंचे बुजुर्ग दंपति को अपनों ने ठुकरा दिया। एक ओर जहां अस्पताल ने बुजुर्ग दंपति की खुशी—खुशी माला पहनाकर तालियों के बीच उनकी विदाई की। वहीं जब ये बुजुर्ग दंप​ति अपने घर पहुंचे तो घर पर परिजनों ने भीतर से बंद कर लिया। बेचारे काफी देर तक घर के बाहर खड़े रहे। आसपास के लोगों ने भी परिजनों से घर का दरवाजा खोलने को बोला लेकिन भीतर से दरवाजे नहीं खुले। हारकर बेचारों को पास में ही किराए के मकान में शरण लेनी पड़ी। 
गोविंद पुरम इलाके में रहने वाले 70 साल के अभय सिंह 5 मई को कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसके बाद वह दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे। करीब 20 दिन बाद तक उन्होंने कोरोना का डटकर मुकाबला किया और बुलंद हौसलों की वजह से अंत में इस वायरस से जीत हासिल की।
ठीक होने के बाद तीन दिन पहले ही जब वह अस्पताल से घर लौटे तो परिवार वालों की बेरुखी ने उन्हें तोड़ दिया। जिस परिवार के लिए उन्होंने तमाम समझौते किए और परेशानियां उठाईं, उसी परिवार ने उन्हें घर में रखने से इनकार कर दिया। अब अभय सिंह मजबूरी में अलग से किराये का मकान लेकर रह रहे हैं।
अभय सिंह ने बताया कि जब वह ठीक होकर घर लौटे तो दो बेटों ने साथ रहने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि आपके साथ रहकर हम भी कोरोना संक्रमित हो जाएंगे। इसलिए वे उन्हें अपने साथ नहीं रख सकते। उनका कहना है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उनकी दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही अस्पताल ने छुट्टी दी थी।
अस्पताल में दोस्त ने की देखभाल
उन्होंने बताया कि अस्पताल में भी घर का कोई भी सदस्य कभी देखने के लिए नहीं पहुंचा था। करीब 20 दिन भर्ती रहने के दौरान दोस्त मोनू ने ही देखभाल की थी। दवा से लेकर खाने तक का सभी इंतजाम दोस्त ने ही किया।


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