मुजफ्फरनगर, 23 मार्च 2021। मजबूत इरादों के साथ ड्यूटी के फर्ज को जिम्मेदारी से निभाया, खुद संक्रमित भी हुए, ठीक होते ही फिर जरूरतमंदों और आम लोगों की सेवा में जुट गए, लेकिन हैसला नहीं खोया। चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों ने कोरोना काल में निडरता से कर्त्तव्यों को निभाया। एक साल पहले खौफजदा माहौल में आत्मविश्वास से लबरेज पुलिसकर्मी शहर और गांव-गलियारों में घूमते रहे। साल भर बीतने के बाद अतीत के बारे में कोरोना के असली हीरो कहते हैं खुद और परिवार से बड़ा है राष्ट्रहित। डॉ. महक सिंह ने नहीं खोया आत्मबल मेघाखेड़ी मखियाली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महक सिंह ने सदर ब्लॉक के 350 से ज्यादा कोरोना के संक्रमितों को आइसोलेट कराया। इसी दौरान वह 16 जून 2020 को कोरोना की चपेट में आ गए। इसके बावजूद हौसला नहीं खोया। बेगराज मेडिकल कॉलेज में 10 दिन भर्ती रहे। सीएचसी परिसर में बने आवास में पत्नी प्रीति चौधरी दो नन्हीं बच्चियों के साथ हमसफर के स्वास्थ्य की कामना करती रहीं। मेडिकल से छुट्टी मिलते ही वह अपने आवास में सात दिन क्वॉरंटाइन रहे। अपने फर्ज को निभा रही हैं डॉ. अलका जिला मलेरिया अधिकारी अलका सिंह एक साल से कोरोना की जंग में पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य को निभा रही हैं। कोरोना में जिला सर्विलांस अधिकारी के पद पर कार्यरत अलका सिंह ने विदेश से आए लोगों की निगरानी की। जिला अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को भर्ती कराया। इस दौरान 19 दिसंबर 2020 को वह खुद कोरोना संक्रमित हो गईं थीं। दोनों बेटियों को भी अपने से दूर बहन के घर सहारनपुर भेज दिया था। हिम्मत के साथ ड्यूटी पर रहे विकास कोरोना के योद्धा विकास शर्मा तितावी थाने में सिपाही के पद पर तैनात हैं। 14 सितंबर 2020 को वह कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। 14 दिन तक थाने में बने कक्ष में आइसोलेट रहे। लोनी बॉर्डर निवासी विकास का परिवार काफी दहशत में था। पत्नी लक्ष्मी औऱ एक साल की बेटी वाणी रोज वीडियो कॉल से बात करती और सलामती की दुआ करती थी। विकास के जीवन में अचानक खराब वक्त आया था, लेकिन वह डरे नहीं, बल्कि ठीक होने के बाद फिर पूरे हौसले से ड्यूटी पर डट गए। लॉकडाउन के दौरान परिवालों ने किया प्रोत्साहित राहुल त्यागी भोपा थाने में हेड कॉंस्टेल हैं। लॉकडाउन में सिंतबर2020 में संक्रमित हो गए थे। परिवार के बचाव के लिए खुद थाने में होम क्वॉरंटाइन हो गए। वहीं रहकर उपचार कराया। नन्हीं बेटियां अस्मिका और आराध्य छोटे भाई अर्श के साथ पापा के आने का इंतजार करते थे। जीवन संगिनी सोनिका हर रोज पति की सलामती की दुआ करती और फोन पर सिर्फ यहीं कहती कि घबराना नहीं जल्द ठीक हो जाओगे। राहुल बताते हैं कि परिवार ने विपत्ति में प्रोत्साहित किया। रिपोर्ट निगेटिव आई, पर घर नहीं गए। परिजन हमेशा ड्यूटी पर सतर्कता बरतने की दुहाई देते रहे।
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