नियोजन के तरीकों को अपनाने से डर रहे लोग

 

मेरठ। कोरोना का खौफ लोगों में इस कदर हावी हो गया है कि अब पुरुष परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने से ही डर रहे हैं। यही वजह है कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत से लेकर अब तक यानी 9 महीनों में महज 10 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है। कोरोना के डर का आलम यह है कि सरकार द्वारा प्रोत्साहन के रूप में नगद राशि देने के बावजूद भी पुरुष अपनी नसबंदी कराने तैयार नहीं हो रहे हैं।
स्वास्थ्य महकमे द्वारा जारी इन आंकड़ों को देखकर कह सकते हैं कि विश्वव्यापी कोरोना वायरस के संक्रमण ने परिवार नियोजन के कार्यक्रम पर भी बुरी तरह से ग्रहण लगा दिया है। दरअसल जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए चलाए जा रहे परिवार नियोजन कार्यक्रम का बुरा हश्र हो रहा है। हालत यह है कि अकेले मेरठ के 12 में से पांच ब्लॉक रेड जोन में आ गए हैं। जिनमें तीन ब्लॉक ऐसे हैं जहां नसबंदी ऑपरेशन का खाता तक नहीं खुल पाया है। पुरुष नसबंदी की स्थिति यह है कि नौ माह में सिर्फ 10 ऑपरेशन ही हो पाए हैं। महिला नसबंदी का आंकड़ा 400 के करीब है। चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की कोविड-19 में ड्यूटी लगाए जाने के कारण स्वास्थ्य की कई राष्ट्रीय योजनाए प्रभावित हो रही हैं। लोग बिना गंभीर बीमारी के घर से बाहर नहीं निकलना चाह रहे हैं। वित्तीय वर्ष की दो तिमाही बीत जाने के बाद जिले में नसबंदी अभियान की वार्षिक उपलब्धि छह फीसद पर अटकी हुई है। पुरुष व महिला नसबंदी के ऑपरेशन करने के लिए जिला स्तर पर जिला अस्पताल और मेडिकल में शल्य चिकित्सक उपलब्ध हैं।
 
कोरोना संक्रमण से राहत मिलने के बाद ही परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति मिल सकती है। राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में नसबंदी कराने व उन्हें प्रेरित करने वालों के लिए सरकार ने प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था की है। नसबंदी कराने पर महिला को 1400 तथा पुरुष को 2000 रुपये एवं इन्हें प्रेरित करने वाली आशा कार्यकर्ताओं को क्रमशः 300 व 200 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस बारे में सीएमओ डा0 अखिलेश मोहन ने बताया कि सरकारी योजनाओं केा अब गति दी जाएगी। पिछले कई महीने से स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।


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