एनएसी में शामिल, एनजीटी ने इन 10 विभागों को दिए निर्देश
  लोगों का सांस लेना हुआ दुभर, टीमें के नजर रखने के बाद भी प्रदूषण नहीं हो रहा कम

 

संजय वर्मा

  मेरठ। कोरोना काल और मौसम के हिसाब से वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई भले ही इस समय अच्छा माना जा रहा हो लेकिन शहर की हवा जहरीली हो चुकी है। इस कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने मेरठ को नॉन एटेनमेंट सिटीज एनएसी में शामिल किया है। वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए एनजीटी ने मास्टर प्लान पर काम करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत 10 विभागों को काम करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन उसके बाद भी प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड रहा है। अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या में ३० प्रतिशत वृद्धि हो गयी है।
 बता देंेकेंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी ने पांच साल के सर्वे के आधार पर प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने वाले देश के 102 शहरों को एनएसी का दर्जा दिया था। वायु गुणवत्ता में लक्ष्य के अनुरूप सुधार न होने के कारण एनजीटी ने यूपी के 10 शहरों में मेरठ को भी शामिल किया है।प्रदूषण को सतह पर लाने के लिए बने एक्शन प्लान पर एमडीए, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, आरटीओ, ट्रैफि क कृषि समेत 10 विभाग मुख्य रूप से काम करेंगे। एनजीटी के निर्देश पर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस पर काम शुरू कर दिया है। प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं सदस्य सचिव यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आशीष तिवारी ने भी माइक्रो प्लान पर गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन शहर में चल रहे फैक्ट्री, कूडे के जलाने की पांबदी के बाद भी कूडे को जलाया जा रहा है। देहात में पराली को आग लगायी जा रही है। जिसमें अभी तक दर्जनों मुकदमें हो चुके है। 
  अस्पतालों में बढ़ने लगे सांस व आंखों में जलने के मरीज
  प्रदूषण के कारण जिला अस्पतल व मेडिकल की ओपीडी में इस समय ज्यादातर मरीज सांस ,आंखों में जलन के मरीज आ रहा है। मेडिकल कालेज में १५० मरीजों में से ६० से ७मरीज  अंाखों में जलन व सांस लेने में दिक्कत केे आ रहे है। ठीक यही स्थिति जिला अस्पताल में ओपीडी में देखने केा मिल रही है।वहां पर १०० मरीजों में से ५५ से ६० मरीज आंखों में जलन व सांस के आ रहे है।
इस प्लान पर काम हो रहा 
. फसलों के अवशेषों, पराली जलाने से रोकना ।
. भीड़ वाले इलाकों में पार्किंग शुल्क बढ़ाना ।
. ईंट भ_ों की नियमित निगरानी, नामित ईंधन का उपयोग और अनाधिकृत इकाईयों को बंद कराना ।
. कूड़ा जलाने पर अनिवार्य रूप से रोक लगानी होगी।
. पीडब्लूडी को टूटी सड़कों का निर्माण कराना होगा।
. पुराने वाहनों पर रोक, सीएनजी वाहनों को प्रोत्साहन।
. वायु गुणवत्ता खराब होने पर जनता के लिए मास्क की उपलब्धता व सुरक्षा के इंतजाम करने
स्थिति में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास होंगे
मेरठ को नॉन एटेनमेंट सिटी में शामिल किया है। एक्यूआई सुधारने के लिए एक्शन प्लान पर मुख्य विभागों के साथ काम किया जाएगा। सुधार के हर प्रयास किए जाएंगे।  . डॉ. योगेंद्र कुमार, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी मेरठ
क्या है नॉन एटेनमेंट एरिया
जहां की हवा नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड के क्लीन एयर एक्ट अमेंडमेंट से मेल न खाती हो। आसान शब्दों में वह जगह जहां की हवा ही ज्यादा दूषित हो चुकी है।
ये हैं एक्यूआई मानक
1.60  सामान्य। 61.100 रू सही स्थिति जो नहीं होनी चाहिए।
200 से ज्यादा एक्यूआई खराब होता है। मेरठ में सामान्य दिनों में एक्यूआई 300 से 350 तक दर्ज किया जा चुका है।


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