शोध संस्थान किसानों को उपलब्ध कराएगा नई किस्म
मेरठ। वेस्ट यूपी के गन्ना किसानों के लिये खुशखबरी है।भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने गन्ने की ऐसी नई किस्म विकसित की है जो लाल सड़न रोग से मुक्त होगी। गन्ना किसानों को इसरोग से हर साल लगभग 1210 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। इस रोग के उपचार के लिए कोराजन नामक जिस दवा का इस्तेमाल किया जाता है उससे जल स्रोत भी विषैले हो रहे हैं इसे देखते हुए संस्थान द्वारा दो दिन पूर्व जारी की गई नई किस्म कोलख 14201 से बड़ी उम्मीदें हैं।
उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र ने बताया कि प्रदेश में सबसे अधिक प्रचलित किस्म को. 0238 में लाल सडऩ रोग के साथ कई कीटों का व्यापक स्तर पर प्रकोप से किसान काफी परेशान थे। इस रोग के उपचार के लिए किसानों को वर्ष में दो बार कोराजन दवाई का प्रयोग करना पड़ रहा था। इससे किसान को प्रति हेक्टेअर 6875 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं। प्रदेश में 17.6 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल में गन्ना पैदा किया जाता है। कोराजन दवाई पर 1210 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय किसानों को वहन करना पड़ता है। इससे मिट्टी और पानी भी दूषित होते हैं। उन्होने बताया कि नई किस्म की उपज 90-100 टन प्रति हेक्टेअर है जो वर्तमान औसत उपज लगभग 80 टन प्रति हेक्टेअर से काफीअधिक है। उन्होंने बताया अगले दो.तीन वर्षों में प्रदेश के 30 प्रतिशत गन्ना क्षेत्र इस किस्म से आच्छादित होगा। जिससे किसानों को लगभग 2145 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुनाफा होगा।
यह है विशेषता
कोलख 14201 में व्यवसायिक चीनी उत्पादन 11.94 टन प्रति हेक्टेअर है। इस तरह चीनी मिल इस प्रजाति से प्रति हेक्टेअर गन्ने से 9ण्5 कुंतल अतिरिक्त चीनी प्राप्त कर सकती हैंए जिससे एक हेक्टेअर में 31350 रुपये अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। खास बात यह भी है कि नई किस्म का गन्ना एकदम सीधा खड़ा रहता है। इसलिए फसल को बंधाई करने की जरूरत नहीं होगीए जिससे किसानों का बंधाई पर आने वाला खर्च भी बचेगा। इससे तैयार गुड़ भी सुनहरे रंग व उच्च गुणवत्ता का होता है। अतरू आर्गेनिक गुड़ उत्पादन हेतु भी यह सर्वश्रेष्ठ है।
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