शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है आयोडीन - आयोडीन की कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी होती है प्रभावित : डा. नेपाल सिंह - शिशु के लिए आयोडीन की भूमिका गर्भावस्था के दौरान मां के पेट से ही शुरू हो जाती है : डा. भारत भूषण
नोएडा, 20, अक्टूबर, 2020। मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आयोडीन एक महत्वपर्ण पोषक तत्व है। इसकी भूमिका गर्भकाल से ही शुरू हो जाती है। मां के शरीर में आयोडीन की कमी के चलते पैदा होने वाले बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो सकता है। आयोडीन की कमी के कारण बहुत से बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिनकी सीखने की क्षमता कम होती है और मंद बुद्धि का शिकार हो जाते हैं। आयोडीन के महत्व को समझने और इसकी कमी से होने वाले विकारों के प्रति जागरूक करने के लिए २१ अक्टूबर को पूरे विश्व में आयोडीन अल्पता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. नेपाल सिंह का कहना है कि शरीर में आयोडीन की कमी से मुख्य रूप से घेंघा रोग होता है। इसमें गला फूल जाता है। अमीनो एसिड के साथ मिलकर आयोडीन थायरॉयड ग्रंन्थि को हार्मोन का उत्पादन करने की ताकत देती है। यह हार्मोन शारीरिक विकास के लिए जरूरी होते हैं। आयोडीन की कमी के चलते थायरायड अनियंत्रित हो जाता है। शरीर में आयोडीन की कमी मानसिक गतिविधियों को अवरूद्ध करती है। वहीं आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने पर मन शांत रहता है। तनाव कम होता है। उन्होंने बताया कोविड काल के चलते हमें यह जानना बड़ा जरूरी है कि अन्य विकारों के अलावा शरीर में आयोडीन की कमी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है। चुस्त दुरुस्त रहने और बीमारियों से बचे रहने के लिए शरीर में आयोडीन की संतुलित मात्रा का होना जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के बचने के लिए आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। डा. सिंह ने बताया बुधवार को जनपद के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे, जिसमें आशा और एएनएम को आयोडीन का महत्व समझाया जाएगा। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भारत भूषण का कहना है कि आयोडीन शिशु के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इतना ही नहीं गर्भकाल में मां में आयोडीन की कमी से पैदा होने वाले बच्चे का शारीरिक विकास भी पूरा नहीं हो पाता। दरअसल भ्रूण के समुचित विकास के लिए आयोडीन एक जरूरी पोषक तत्व है। यह शिशु के दिमाग के विकास में अहम भूमिका निभाता है। शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का काम भी आयोडीन करता है। आयोडीन की कमी के लक्षण : कमजोरी होना। वजन बढ़ना। थकान महसूस होना। त्वचा में रूखापन। बाल झड़ना। दम घुटना। नींद अधिक आना। माहवारी अनियमित होना। हृदय गति धीमी होना। यादाश्त कमजोर होना।
आयोडीन की कमी से बचाव कैसे करें : शरीर में आयोडीन की कमी न होने पाए, इसके लिए आयोडाइज्ड नमक का प्रयोग करें। एक ग्राम नमक में करीब ७७ माइक्रो ग्राम आयोडीन होता है। इसके अलावा आलू, दूध, अंडा, दही, स्ट्राबेरी और केला भोजन में शामिल करने से आयोडीन की पर्याप्त मात्रा मिल जाती है।
No comments:
Post a Comment