एमफिल पाठयक्रमों को समाप्त करने की स्वीकृति प्रदान की गई

 

मेरठ। चौधरी चरण विवि वउससे समबद्घ कालजों में नयी शिक्षा को लागू  कर दिया है। विवि से एमफिल पाठयक्रम को  समाप्त कर दिया है। इसी परिपेक्ष में सोमवार को  कुलपति प्रो नरेंद्र कुमार तनेजा की अध्यक्षता में सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से विद्धत परिषद की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें निम्नलिखित निर्णय लिए गए। 
 बैठक के तहत नयी शिक्षा नीति  अनुसार एमफिल पाठयक्रमों को समाप्त करते हुए विद्धत परिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। 
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किए जाने हेतु सभी संकायाध्यक्षों को निर्देशित करते हुए बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक बुलाकर नई शिक्षा नीति के अनुसार पाठयक्रम निर्धारित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। किसी विद्यार्थी के हाईस्कूल उतीर्ण होने के उपरान्त दो वर्ष का आईटीआई डिप्लोमा और इंटरमीडियट एक विषय के साथ उतीर्ण होने के उपरान्त विश्वविद्यालय द्वारा संचालित बीए/बीकॉम पाठयक्रम में प्रवेश की स्वीकृति प्रदान की गई। इसी प्रकार बीएससी बीटैक पाठ्यक्रमों में किसी विद्यार्थी द्वारा हाईस्कूल यूपी बोर्ड के उत्तीर्ण होने के उपरान्त दो वर्ष का या तीन वर्ष का इलैक्ट्रोनिक्स, कम्प्यूटर साईस इनफोरमेशन टेक्नोलॉजी का आईटीआई पोलिटेकनिक डिप्लोमा और इण्टरमीडिएट एकल विषय (हिन्दी) यूपी बोर्ड के साथ उत्तीर्ण होने के उपरान्त विश्वविद्यालय द्वारा संचालित बीएससी (गणित) बीएससी (कम्प्यूटर साईस) बीटैक (इलैक्ट्रोनिक्स) बीटैक (कम्प्यूटर साईस) बीसीए पाठ्यक्रमों में वर्ष 2020-21 से प्रवेश की स्वीकृति प्रदान की गई। विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालययों/संस्थानों में संचालित बीएससी ऑप्टोमेंटरी पाठयक्रम को विज्ञान संकाय से चिकित्सा संकाय में पराचिकित्सकीय पाठयक्रम के रूप में सम्मिलित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। 
 विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालयों/ संस्थानों में संचालित बीएससी नर्सिंग एवं पोस्ट बेसिक नर्सिंग पाठयक्रमों के अंतिम वर्षो में कोर्स को लागू किये जाने हेतु द्वारा लागू किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। जिसको संबद्धता विभाग द्वारा इसको उक्त पाठयक्रमों में सत्र 2019-2020 से अंगीकार करने की स्वीकृति प्रदान की गई। 
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एमफिल/पीएचडी उपाधि प्रदान करने हेतु न्यूनतम मानदण्ड एव प्रक्रिया का निर्धारण किया गया था। इसी क्रम में नई शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में उक्त अध्यादेशों में संशोधन की स्वीकृति प्रदान की गई। 
कार्य परिषद के सदस्य द्वारा अनुमोदित किया जाने पर विद्धत परिषद द्वारा रामचरित्र मानस में विज्ञान, श्रीमद भागवत गीता में विज्ञान का 1 वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स तथा 2 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू करने के लिए तीन सदस्य कमेटी का गठन कर दिया गया है, जोकि जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में शोध ग्रन्थ के मूल्यांकन में यदि प्रथम परीक्षक ने शोध ग्रन्थ को स्वीकृति प्रदान की है एवं शोध उपाधि प्रदान किये जाने की संस्तुति की है एवं द्वितीय परीक्षक ने शोध ग्रन्थ को पुन: संशोधित करने हेतु अपनी आख्या प्रस्तुत की है एवं तृतीय परीक्षक द्वारा शोध ग्रन्थ को निरस्त करने की संस्तुति की है तो ऐसी दशा में शोध ग्रन्थ को निरस्त कर दिया जाता है। इस प्रकरण द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमें यह कहा गया कि यदि तीन परीक्षक शोधग्रंथ का स्वीकृति प्रदान कर देते या फिर दो परीक्षक स्वीकृति प्रदान कर देते है और तीसरा निरस्त कर देता है तो चौथे परीक्षक को शोधग्रंथ भेजी जाएगी। रिपोर्ट को विद्धत परिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक में प्रति कुलपति प्रो वाई विमला, कुलसचिव धीरेंद्र कुमार , कुलानुशासक प्रो बीरपाल सिंह, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो भूपेंद्र सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो रूप नारायण, प्रो नवीन चंद्र लोहानी, प्रो जितेंद्र कुमार ढाका,  प्रो हरे कृष्णा, प्रो एसएस गौरव, प्रो मृदुल कुमार गुप्ता सहित सभी संकायाध्यक्ष व प्राचार्य तथा प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र कुमार गुप्ता भी मौजूद रहे। 


No comments:

Post a Comment

Popular Posts