आँखों की रोशनी के कमजोर होने का कारण बना रहा मोबाइल फोन
न्यूज प्रहरी, मेरठ : प्रेसबायोपिया जो है लोगों को ४० की उम्र के बाद प्रभावित करता है, हालांकि, मोबाइल फोन और इसी तरह के गैजेट्स का प्रयोग करने से कई बार अब यह उम्र से पहले ही नजर आने लगा है। यह नजदीक में केंद्रित कर पाने को कठिन बना देता है, खासकर छोटे अक्षरों और कम रोशनी में। मेरठ स्थित सेंटर फार साइट के डायरेक्टर डा. संगीता का कहना है कि आमतौर पर, प्रेसबायोपिया ४० वर्ष के शुरुआत या मध्य में शुरू होता है,। जो लोग पास की चीजों को देखने की गतिविधि रोजाना करते हैं उन्हें इस बात का पता जल्दी चल जाता है और वे जल्द ही इसकी शिकायत करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल, मोबाइल फोन और टेबलेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल करने से, लोगों को जल्द ही सुधारात्मक चश्मे लग जाते हैं, यहां तक कि ३७-३८ साल की उम्र में ही। एस्टीमैटिज्म , नियरसाइटेडनेस और फारसाइटेडनेस (दूर दृष्टि दोष) के रूप में प्रेसबायोपिया में अंतर पाया जा सकता है, जोकि आंखों की पुतलियों के आकार से संबंधित हैं और अनुवांशिक व पर्यावरणीय कारणों से होते हैं। यदि पास की धुंधली नजर आपको पढने में दिक्कत , नजदीक के काम करने या अन्य सामान्य गतिविधियों को करने से रोक रही है तो आंखों के डॉक्टर को दिखाएं।डा.संगीता का कहना है कि प्रेसबायोपिया को ठीक करने के लिए कोई भी बेहतर तरीका नहीं है। इसमें सुधार का सबसे सही तरीका आपकी आंखों और आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो आपके नेत्ररोग विशेषज्ञ पढने के लिए चश्मे की सलाह दे सकते हैं, इन्हें आप तब लगा सकते हैं जब कॉन्टैक्ट लगे हुए हों की जांच नियमित रूप से होती रहे, खासकर ५० वर्ष की आयु के बाद।
डा. के अनुसार प्रेसबायोपिया का उपचार करने के लिए कंडक्टिव कैरेटोप्लास्टी या कॉर्नियल इन-लेज जैसे सर्जरी के विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा, लेजर का प्रयोग से ठीक किया जाता है, अंतः आंख की किसी भी समस्या को नजरअंदाज न करें। जब भी आपको महसूस हो कि आपकी आंखें सामान्य से कम कार्य कर रही हैं तो नेत्ररोग विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं और आंखों के लिए संभव सबसे बेहतर इलाज कराएं। क्योंकि हर कोई सबसे बेहतर पाने के हकदार है।
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