-मास्क लगा कर डीएल बनवाने आ रहे है आवेदक
-फरवरी माह से मार्च में अब तक डीएल बनवाने वाले आवेदकों में इजाफा, फरवरी में जहां ४४८ डीएल प्रतिदिन बन रहे थे अब यह आंकड़ा ५५० पार कर गया
news prahar iमेरठ। एक तरफ जहां पूरे विश्व में कोरोना वायरस का कहर है। यहीं कारण है, कि एक तरफ जहां सरकारी आफिसों में जन मानस की आवा जाही में गिरावट देखने को मिल रही है। साथ ही भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से इंसान कतरा रहा है। वहीं दूसरी ओर वाहन चालकों को कोरोना से ज्यादा चालान कटने का डर हैं। आरटीओ में इस माह डीएल बनवाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवेदकों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है।
फरवरी माह में प्रतिदिन ४४८ के औसत से डीएल बन रहे थे, लेकिन यह आंकड़ा मार्च में ५५० पार चला गया है। हालांकि आवेदक सतर्कता भी अपना रहे है। जिसमें आवेदक डीएल की प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए मॉस्क का भी उपयोग कर रहे है। जिससे कि किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो। बता दें कि जब से शासन ने वाहन चालकों के लिए नियमों में सख्ती की है, तब से वाहन चालक भी किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतना चाहते। वह जल्द से जल्द डीएल बनवाना चाहते है। आरटीओ की तरफ से पहले छह माह के लिए लर्निग डीएल जारी किया जाता है, उसके पश्चात ही पक्का डीएल बनता है। लर्निग डीएल बनने के पश्चात ही आवेदक छह माह के अंतराल में पक्के डीएल के लिए ऑनलाइन आवेदन करते है। जिसके पश्चात विभाग की तरफ से उन्हे प्रक्रिया पूरी करने के लिए विभाग में बुलाया जाता है। डीएल की तिथि में परिर्वतन ना हो इसलिए आवेदक निर्धारित तिथि पर ही अपनी प्रक्रियाओं को पूरा कर रहे हैं। डीएल बनवाने आए नितिन ने बताया कि अगर वायरस से ज्यादा डर चालान से लगता है। क्योंंकि वायरस भले ली अभी मेरठ में नहीं आया हो लेकिन चालान कब कट जाएं पता नहीं। इसलिए कोरोना वायरस से बचने के लिए मॉस्क व चालान से बचने के लिए डीएल की प्रक्रियाओं को पूरा कर रहे है।
इनका क्या कहना है
आवेदक सतर्कता के साथ अपने डीएल की प्रक्रियाओं का पूरा कर रहे है। साथ ही कोरोना वायरस के प्रति जिस तरह से सावधानी बरतने के लिए कहा गया है उनका पालन किया जा रहा है। गत माह से ज्यादा सख्या में डीएल बन रहे है।
स्वेता वर्मा, एआरटीओ प्रशासन
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