पहली बार गन्ना रिजक्ट करने की प्रथा चीनी मिलों ने शुरू की - राकेश टिकैत 

 गन्ना भवन में किसानों की महापंचायत में पहुंचे भाकियू के मुखिया 

 मेरठ। पिछले 15 दिसम्बर से विभिन्न मांगों को लेकर गन्ना भवन पर  अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों के बीच महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत पहुंचे। किसानों को सम्बोधित करते हुए यह पहली बार हो रहाहै कि चीनी मिलों ने गन्ना रिजक्ट करने की प्रथा को आरंभ किया है। जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जााएगा। 

उन्होंने कहा कि  8 दिन से किसान यहां लेट रहा है। कुछ वेराइटी के गन्ने रिजेक्ट कर दिया। पहली बार हुआ है कि कागजों में भाव बढ़ा दिया और फिर भाव घटा दिया। सबसे बड़ी बात है कि जब रात में 2 बजे बुजुर्ग किसान ट्रैक्टर लेकर आता है और उससे कहा जाता है कि डेढ़ क्विंटल निकाल लो।किसानों के खेत में धर्मकांटा थोड़ी नहीं लगा है। पहले होता था कि ओवरलोड तौल जाता था वो आगे की पर्ची में एडजस्ट हो जाती थी। इन्ही समस्याओं पर बातचीत चल रही है। इस सरकार को धरने प्रदर्शन से डर थोड़ी नहीं लग रहा। ये सरकार ने देश की राजधानी को 13 महीने तक घिरवा कर रखा। ऐसे नहीं चलेगा किसानों की मांग को सरकार को पूरा करना होगा। वरना आंदोलन के लिए किसान तैयार है। 



इससे पूर्व रविवार को आसपास के जिले से किसान ट्रैक्टर-ट्राॅली लेकर गन्ना भवन पहुंचने लगे हैं। इससे जाम की स्थिति बन गई है। वहीं किसानों ने सड़क पर ही सपेरे बुला लिया हैं। उन्होंने वहां पर बीन बजाई ।महापंचायत के दौरान किसानों ने उप गन्ना आयुक्त मुर्दाबाद और किसान एकता एक के नारे लगाए। इसके बाद रागिनी और डांस शुरू कर दिया। महापंचायत में मेरठ , बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर के करीब 2 हजार से अधिक किसान पहुंचे ।

 किसानों की मांगे 

पिछले तीन पेराई सत्रों से जिन नियमों के तहत गन्ना तौल क्रय केंद्रों पर खरीद हो रही थी, उसी व्यवस्था को इस सत्र में भी लागू किया जाए।

मोहिउद्दीनपुर और मवाना मिल पर किसानों का गन्ना सही तरीके से नहीं लिया जा रहा, जिससे किसान परेशान हैं।

किसान का इंडेंट 18 क्विंटल का होने पर यदि ट्रॉली में 24 क्विंटल गन्ना है तो उसे लेने से मना किया जा रहा है।

अगर अधिक गन्ना लिया जाता है तो अगला इंडेंट भी उतना ही बढ़कर आ रहा है, जिससे किसानों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।

खुद मिल से दी गई गन्ने की किस्म को लेने से मिल अब इनकार कर रही है और गन्ना रिजेक्ट किया जा रहा है।

1831 किस्म का बीज मिलों ने ही किसानों को दिया था, बावजूद इसके अब उसी किस्म के गन्ने को नहीं लिया जा रहा।

गन्ना रिजेक्ट होने से किसानों के सामने पूरी फसल नष्ट होने का खतरा खड़ा हो गया है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts