मशीले पदार्थों हो नकेल
इलमा अज़ीम
नशीले पदार्थों का बढ़ता घातक कारोबार गंभीर संकट की आहट सुना रहा है। आये दिन विभिन्न राज्यों में नशीले पदार्थों की बड़ी-बड़ी खेप बरामद होना इस संकट की भयावह तस्वीर दिखाता है। नशे की गिरफ्त में अब वयस्क ही नहीं, किशोर भी नशे की चपेट में आ रहे हैं। फिर वे अपने नशे के लिए पैसा जुटाने को अपराध की गलियों से गुजरने में गुरेज नहीं करते। ऐसा ही संकट नकली दवाइयों की आपूर्ति का भी है।
पिछले दिनों देश के कई राज्यों में घातक कफ सिरप पीने से कई बच्चे अपनी जान गंवा बैठे। इस आसन्न संकट को महसूस करते हुए नकली दवाइयों और मादक पदार्थों पर अंकुश लगाने के लिए सात राज्यों के ड्रग्स कंट्रोलरों, पुलिस और सीआईडी अधिकारियों का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन चंडीगढ़ में आयोजित किया गया, जिसका मकसद इन अधिकारियों को एक मंच पर लाकर कार्रवाई को अधिक कारगर बनाना था।
इस रणनीतिक महत्व के सेमिनार का आयोजन हरियाणा के खाद्य और औषधि प्रशासन ने किया था, जिसका मकसद सीमावर्ती राज्यों के बीच बेहतर समन्वय, सूचना साझेदारी और तेज प्रवर्तन तंत्र विकसित करना था। यह स्वागत योग्य है कि देश में पहली बार सात राज्यों ने इस संकट को महसूस करते हुए इस दिशा में साझी पहल की। बैठक में स्वीकार किया गया कि नशीले पदार्थों व नकली दवाइयों का कारोबार मात्र एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि इससे कई राष्ट्रीय मुद्दे भी जुड़े हैं।
इसमें दो राय नहीं कि देश के लिए घातक साबित हो रहे नशे के कारोबार पर अंकुश राज्यों के संयुक्त प्रयासों से ही संभव है। इसके लिए जरूरी है कि विभिन्न राज्यों के जिम्मेदार अधिकारी समय-समय पर इससे जुड़े डेटा साझा करने, पारदर्शी समन्वय और ‘एक टीम, एक रणनीति’ पर काम करें। इसमें दो राय नहीं कि यह जहरीला कारोबार सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं है बल्कि विभिन्न राज्यों के बीच साझा चुनौती बना हुआ है, जिसका मुकाबल डेटा साझेदारी और पारदर्शी समन्वय से ही संभव है। खासकर सीमावर्ती राज्यों को तो अंतर्राष्ट्रीय व अंतरराज्यीय तस्करों से मुकाबले के लिए मिलकर काम करना बेहद जरूरी है।
दरअसल, हाल के दिनों में पंजाब व देश के समुद्री सीमा से जुड़े राज्यों में नशीले पदार्थों की जो बड़ी खेपें बरामद हुई हैं, उसने पूरे देश की चिंता बढ़ाई है। सवाल यह भी उठा है कि यदि नशीले पदार्थों की इतनी बड़ी मात्रा बरामद हुई है तो चोरी-छिपे कितनी बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ देश में पहुंच रहा होगा। संकट का एक पहलू यह भी है कि सीमावर्ती जिलों में किशोरों को नशे की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।





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