कोडीनयुक्त कफ सीरप से यूपी में कोई मौत नहीं'
विधानसभा में सीएम योगी ने दिया विपक्ष को जवाबलखनऊ (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सोमवार को सदन में कोडीनयुक्त कफ सीरप को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा कि कोडीनयुक्त कफ सीरप से यूपी में कोई मौत नहीं हुई है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के विधायकों के हंगामा करने पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने उनको नसीहत दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को ही घेरा और माकूल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यूपी में कोडीन सिरप से कोई मौत नहीं, होलसेलर को समाजवादी पार्टी की सरकार ने ही लाइसेंस जारी किया था। उन्होंने कहा कि किसी भी अवैध या मिलावटी दवा के मामले में एफएसडीए छापेमारी करती है और उत्तर प्रदेश में कोडीन से मौत का कोई मामला नहीं है। उन्होंने सदन में कहा कि समय आने पर बुलडोजर एक्शन किया जाएगा। उस समय फिर चिल्लाना मत। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने जो कार्रवाई की इसमे 79 अभियोग दर्ज किए है। 225 अभियुक्त नामजद हैं, इनमें 78 अभियुक्त अब तक गिरफ्तार हुए हैं। अब तक 134 फर्म पर छापेमारी की कार्रवाई हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोडीन कफ सीरप का मुद्दा जो उठाया गया, मुद्दा था नकली दवाओं के सेवन से होनी वाली मौतों का। इसके बारे में हमने पहले भी बताया कि नकली दवाओं से होनी वाली मौत की कोई बात नही आई है। यूपी में कोडीन कफ सिरप के केवल स्टाकिस्ट और होलसेलर हैं। इसका यहां प्रोडक्शन नहीं होता है। मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में इसका प्रोडक्शन होता है। मौत के प्रकरण अन्य राज्यों में हुए हैं, जो मौत के प्रकरण हुए वो तमिलनाडु में बने हुए सीरप से हुए हैं।
कुल तीन प्वाइंट में जवाब
उन्होंने कहा कि कुल तीन प्वाइंट में जवाब है। पहली बात-कोडीन कफ सिरप से उत्तर प्रदेश में कोई मौत नहीं हुई है। दूसरी-इस मामले में एनडीपीसी एक्ट के तहत कार्रवाई होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले को कोर्ट में जीता है। तीसरा-उत्तरप्रदेश में इसका जो होलसेलर या जो बड़े होलसेलर हैं। उनको सबसे पहले एसटीएफ ने पकड़ा था। उसको 2016 में समाजवादी पार्टी ने लाइसेंस जारी किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कफ सीरप के इल्लीगल डायवर्जन के कारण इन होलसेलर्स ने इसको उन देशों व उन राज्यों में पहुंचाया जहां मद्यनिषेध है,लेकिन वहां नशे के आदी लोगों को इसको लेने की आदत है। वहां उसका दुरुपयोग हुआ, जबकि बिना चिकित्सकीय परामर्श के इसका सेवन नहीं हो सकता, खासकर बच्चो के लिए यह हानिकारक है। यहां पर तो अब इल्लीगल फंड डायवर्जन का भी मामला सामने आया है। एसटीएफ जांच कर रही है।


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