सर्दियों में बच्चों में जुकाम और बुखार हो सकता है गला-घोटू संक्रमण
-- कोविड-19 की तरह पीसीआर विधि से की जाती है जांच
-- सांस में दिक्कत दिखे तो न करें लापरवाही: डॉ. दिव्यांशु सेंगर
मेरठ। सर्दियों का दौर बढ़ने के साथ ही छोटे बच्चों में सर्दी-जुकाम और बुखार के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार जरा-सी ठंड लगने पर भी बच्चे बीमार हो रहे हैं। यदि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ, तेज सर्दी-जुकाम और बुखार दिखाई दे तो यह रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (आरएसवी) संक्रमण का संकेत हो सकता है। जिसे हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
मेडिकल ऑफिसर डॉ. दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि आरएसवी एक गंभीर श्वसन वायरस है, जो बहुत तेजी से श्वसन नली में सूजन पैदा कर फेफड़ों को संक्रमित करता है। गंभीर स्थिति में यह वायरस दिमाग और लीवर तक पहुंचकर अंगों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर कुछ ही घंटों में बच्चे की हालत नाजुक हो सकती है और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि ठंड और बढ़ता प्रदूषण आरएसवी के फैलाव के लिए अनुकूल स्थिति बनाते हैं। सर्दियों में यह संक्रमण निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा की तुलना में छोटे बच्चों को अधिक परेशान करता है। अस्पतालों में खासकर नवजात और बहुत छोटे बच्चों के मामले ज्यादा पहुंच रहे हैं।
डॉ. सेंगर के अनुसार कोविड-19 के बाद आरएसवी संक्रमण के मामले बढ़े हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा छह माह तक की उम्र के बच्चों को होता है। विशेष रूप से कम वजन वाले, समय से पहले जन्मे और कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों में जोखिम अधिक रहता है। ऐसे बच्चे हल्की ठंड या प्रदूषण के संपर्क में आते ही संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज, मेरठ में आरएसवी की जांच कोविड-19 की तरह पीसीआर विधि से की जाती है। गंभीर मामलों में बच्चों को पीआईसीयू में भर्ती कर वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ता है।
टीकाकरण और बचाव
-- डब्ल्यूएचओ जन्म के छह सप्ताह के भीतर आरएसवी वैक्सीन लगाने की सलाह देता है। यह वैक्सीन जीवन में एक बार लगती है। फिलहाल सरकारी स्तर पर यह उपलब्ध नहीं है, जबकि निजी अस्पतालों में इसकी कीमत करीब 30 हजार रुपये बताई जा रही है। डॉ. सेंगर ने अभिभावकों से अपील की कि यदि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत, खांसी, सर्दी-जुकाम या बुखार हो तो देरी न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बचाव के उपाय
-- बच्चों को ठंड से बचाकर रखें, नंगे पैर फर्श पर न चलने दें।
-- हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान दें, समय-समय पर साबुन से हाथ धुलवाएं।
-- धुएं और धूल से बच्चों को दूर रखें, ताजा और पौष्टिक भोजन दें।
-- छोटे बच्चों को नियमित स्तनपान कराएं।
-- दूध पिलाने के दौरान बच्चों को खुले में न घुमाएं।
-- धूप निकलने पर बच्चों को हल्की धूप जरूर दिलाएं, इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है।


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