बढ़ता चक्रवाती कहर
ईलमा अज़ीम
जलवायु बदलावों के चलते चक्रवाती तूफानों की संख्या में वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हिंद महासागर के गर्म होने के कारण चक्रवातों की गति व मजबूती बढ़ी है। बीते सत्ताईस नवंबर तक भारत के दक्षिणी राज्यों में सेनयार चक्रवात ने भारी तबाही मचाई थी और अगले दिन दितवाह ने अपना कहर शुरू कर दिया।
जलवायु बदलावों के चलते चक्रवाती तूफानों की संख्या में वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हिंद महासागर के गर्म होने के कारण चक्रवातों की गति व मजबूती बढ़ी है। बीते सत्ताईस नवंबर तक भारत के दक्षिणी राज्यों में सेनयार चक्रवात ने भारी तबाही मचाई थी और अगले दिन दितवाह ने अपना कहर शुरू कर दिया।
दुनिया में तेजी से आ रहे प्राकृतिक बदलावों ने ऐसेे तूफानों की संख्या में वृद्धि की है। यदि मानव ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को नियंत्रित नहीं किया तो साइक्लोन या बवंडर के चलते भारत के सागर किनारे वाले शहरों में लोगों का जीना दूभर हो जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले 30 वर्षों के दौरान तूफानों की तीव्रता में बढ़ोतरी देखी गई है।
हिंद महासागर के गर्म होने के कारण चक्रवातों की गति व मजबूती बढ़ी है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, पिछले पांच सालों (करीब 2018-2022) में तूफानों की घटनाओं में 32 प्रतिशत इजाफा हुआ। पिछले तीन माह में यह चौथा विकराल चक्रवात है। यही नहीं, मई से जुलाई तक कई कम क्षमता के चक्रवातों ने पश्चिम बंगाल, कोंकण, गुजरात आदि में कोहराम मचाया था।
इस तरह के बवंडर तात्कालिक नुकसान ही नहीं पहुंचाते, बल्कि इनका दीर्घकालिक प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। इसके साथ ही, समूची प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। वनों या पेड़ों को संपूर्ण स्वरूप पाने में दशकों लगे, वे पलक झपकते नेस्तनाबूद हो जाते हैं। तेज हवा के कारण तटीय क्षेत्रों में मीठे पानी में खारा पानी मिलने और खेती वाली जमीन पर मिट्टी व दलदल बनने से हुई क्षति पूरा करना मुश्किल होता है।
अध्ययन में पाया गया कि समुद्र की सतह का तापमान लगभग 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर गंभीर तूफान आते हैं। भारी बारिश के साथ तूफान आमतौर पर साल के सबसे गर्म मौसम में ही आते हैं। लेकिन जिस तरह इस साल बरसात और सर्दियों में भारत में ऐसे तूफान के हमले बढ़े हैं, यह हमारे लिए गंभीर चेतावनी है।





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