पूर्ण स्वतंत्रता संघर्ष में अनगिनित लोगों का बलिदान दिया- धमेन्द्र भारद्वाज
इतिहास विभाग में प्रदर्शनी एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम
मेरठ। उत्तर प्रदेश अभिलेखागार संस्कृति विभाग एवं इतिहास विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता आंदोलन में मेरठ मंडल का योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया
मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य धर्मेंद्र भारद्वाज, विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अनिल कुमार यादव, मुख्य वक्ता प्रसिद्ध चिकित्सक व इतिहासविद डॉक्टर अमित पाठक कार्यक्रम के अध्यक्ष कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर हरे कृष्णा रहे। कार्यक्रम संयोजक इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर के के शर्मा एवं उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार संस्कृत विभाग लखनऊ के निदेशक अमित कुमार अग्निहोत्री रहे। संस्कृति विभाग लखनऊ उत्तर प्रदेशकी ओर से शिवकुमार यादव सहायक अभिलेख अधिकारी लखनऊ एवं कार्यक्रम नोडल अधिकारी संतोष कुमार यादव उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्रो विघ्नेश कुमार प्रोफेसर आराधना प्रोफेसर ए वी कौर डॉ कुलदीप कुमार त्यागी डॉ योगेश कुमार डा शालिनी प्रज्ञा डॉ पंकज, प्रोफेसर अर्चना डा सिरोही सहित सैंकड़ों शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में पंजीकरण हुए। विभागाध्यक्ष कृष्ण कांत शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर मेरठ कालिज से पधारे प्रोफेसर अर्चना ने कहा कि यहां उपस्थित सभी विद्वानों के बीच स्वतंत्रता आंदोलन पर बोलना मेरे लिए बड़ी बात है। स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने अपनी चीजों को अपनाने पर जोर दिया। रॉलेट एक्ट के विरोध के बारे में बताते हुए कहा कि टॉप 3 शहरों में मेरठ का नाम उल्लेखनीय है।खादी, स्वदेशी की बात कही। मुख्य अतिथि विधायक धर्मेंद्र भारद्वाज ने कहा कि क्रांति धरा मेरठ की माटी को नमन जिसने पूर्ण स्वतंत्रता संघर्ष में अगणित लोगों का बलिदान दिया,योगदान दिया। दिल्ली से कन्याकुमारी तक मेरठ के लोगों का योगदान रहा। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को याद करते हुए उनके विचारों का किस प्रकार प्रसार हुआ... सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजूए क़ातिल में है।
स्वतंत्रता सेनानी के विचारों सिद्धांतों और संस्कारों को लेकर के आज भी मोदी के नेतृत्व में कार्य चल रहा है जिससे स्वाभिमान जागृत होता है। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय हमारी प्राचीन बौद्धिक क्षमता को दर्शाते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे है। कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर हरे कृष्णा ने कहा कि आज का कार्यक्रम प्रदर्शनी और संगोष्ठी दो भागों में विभाजित है दोनों ही कार्यक्रम बहुत सुंदर है और मै बहुत प्रभावित हूं जबकि मैं इतिहास का विद्यार्थी नहीं हूं। मुझे खुशी है कि एक विभाग ऐसा है प्रदेश में जो अपनी पुरानी संस्कृति और इतिहास को आगे बढ़ने का काम कर रहा है। इ
मुख्य वक्ता डॉक्टर अमित पाठक ने कहा कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अंनछुआ सा रहता है। यह अनोखा पहलू है जो बाहर आना चाहिए जनता के बीच जाना चाहिए। 1857 की क्रांति के समय लगभग 2 महीने तक इस क्षेत्र को अंग्रेजों से मुक्त रखा यह महत्वपूर्ण पक्ष है जिसकी चर्चा होनी चाहिए। इसी दौरान यहां जेनोसाइड और नरसंहार हुए। 1857 से हमने यह सीखा कि अंग्रेजों से आमने-सामने की लड़ाई नहीं जीती जा सकती। और उस समय का भारत मध्यकाल में जी रहा था। भारतीय और अंग्रेजों के बीच हुई लड़ाई में हर स्तर पर बहुत अंतर था हथियार भी अंग्रेजों के विकसित थे जबकि हिंदुस्तानी परंपरागत और पुरानी हथियारों से संघर्ष कर रहे थे। किसी काल में अंग्रेजों ने हिंदुस्तानियों के बीच विभाजन की नींव डाली जातियों में, धर्म में। डॉ अमित में गांधी जी के यात्राओं का विस्तृत देते हुए किन-किन लोगों के बीच और कहां-कहां उनकी सभाएं हुई उसका विस्तृत विवरण दिया। 19 सुभाष चंद्र बोस के मेरठ आगमन की चर्चा की और सुभाष और गांधीवादी व्यक्तियों के बीच मतभेदों का चर्चा किया। 1940 मैं सुभाष मेरठ आये टाउन हॉल में उनकी जनसभा हुई फारवर्ड ब्लाक के अंतर्गत।
इस समय बजे हुए सायरन के ऊपर उन्होंने कहा कि यह सायरन नहीं बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का संकेत है। मेरठ कॉलेज के छात्रों ने बड़ी स्त्रोत का आंदोलन में हाथों में ले लिया मेरठ कचहरी पर हमला किया। रेलवे स्टेशन पर छात्रों ने तोड़फोड़ की। सरधना के पास भामोरी गांव में एक मीटिंग हुई पंडित राधेश्याम शर्मा उसे मीटिंग को संबोधित कर रहे थे तभी पुलिस से बहस हुई और वहां फायरिंग हुई और पांच स्वतंत्रता सेनानी मारे गए। 40 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दर्ज करते हुए उनके उपर ट्रायल चला। इंडियन नेशनल कांग्रेस का आखिरी अधिवेशन 1946 का अधिवेशन मेरठ में ही हुआ। देश भर से 20000 कार्यकर्ता यहां इकट्ठा हुए विक्टोरिया पार्क स्थित कार्यक्रम में आचार्य कृपलानी ने अध्यक्षता की। इसी अधिवेशन में भविष्य की स्वतंत्रता भारत की कल्पना की गई। और यहीं से स्वतंत्र भारत के नवीन स्वरूप की घोषणा हुई। इस नाते सभी कालखंड में मेरठ अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। आज जो शर्मा नगर है वह वास्तव में प्यारेलाल शर्मा नगर है। स्वतंत्रता आंदोलन में किए गए दोनों धाराओं का मिलन भी मेरठ ही साक्षी रहा है। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर योगेश कुमार ने किया।डा पंकज ने भी अपने विचार रखे। प्रो अपर्णा वत्स व प्रो आराधना ने भी सुनीता सेनानियों के योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला।सभी का आभार प्रो विघ्नेश कुमार ने किया।


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