यूपी  में भाजपा में हलचल तेज: दिसंबर तक मिल सकता है नया प्रदेश अध्यक्ष

 मंत्रिमंडल विस्तार करने की संभावना , पुरानों को हटा कर नये दी जा सकती है जिम्मेदारी 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में एक बार फिर बड़े संगठनात्मक बदलावों और संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। भाजपा सूत्रों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली शानदार सफलता के बाद अब केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान कर सकता है।

बिहार में भाजपा के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने के बाद, अब यूपी  में भी बड़े संगठनात्मक बदलावों का दौर शुरू होगा। भाजपा आलाकमान दिसंबर तक प्रदेश को नया अध्यक्ष दे सकता है, और इसके तुरंत बाद योगी 2.0 मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार भी किया जाएगा।

11 महीने से नए अध्यक्ष का इंतजार

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को पिछले लगभग 11 महीने से नए प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार है। यह नियुक्ति पहले महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में उपचुनाव, और हाल ही में बिहार चुनाव के चलते अटकी हुई थी।सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार चुनाव के नतीजों के बाद ही उत्तर प्रदेश में बदलाव करने का फैसला टाल रखा था। अब आलाकमान बिना किसी ज्यादा देरी के दिसंबर तक सरकार और संगठन में जरूरी बदलाव कर देगा।

प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कौन आगे?

 सूत्रों की मानें तो प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जिन नामों पर मंथन चल रहा है, उनमें प्रमुख रूप से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, और धर्मपाल सिंह का नाम तेजी से चल रहा है। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी इस कतार में शामिल हैं।

हालांकि, आगामी पंचायत और 2027 विधानसभा चुनावों को देखते हुए संगठन की तरफ़ से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर दाँव लगाने की संभावना ज़्यादा है। इस लिहाज से स्वतंत्रदेव सिंह या केशव मौर्य के नाम पर पार्टी दाँव लगा सकती है।

केशव मौर्य को मिल रही तरजीह

 बिहार में संपन्न हुए चुनाव में भाजपा आलाकमान ने पहले केशव प्रसाद मौर्य को सह प्रभारी नियुक्त किया, और फिर केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया। भाजपा के इस कदम की वजह से उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज है कि श्री मौर्य को प्रदेश में कोई बड़ी संगठनात्मक ज़िम्मेदारी दी जा सकती है।

एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, "भाजपा को बिहार चुनाव में जो बड़ी जीत मिली है, उसका असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिलेगा। जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य को आलाकमान की तरफ़ से तरजीह दी जा रही है, उससे लगता है कि वह इस दौड़ में बाकी प्रतिद्वंदियों से आगे हैं। सवर्ण सीएम होने के बाद पार्टी ओबीसी चेहरे पर ही दाँव लगाएगी। ब्रजेश पाठक की दावेदारी पर संशय है।"

मंत्रिमंडल विस्तार में छह पद खाली

 इधर, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की भी अटकलें तेज से लगाई जा रही हैं। सूत्रों की मानें तो पहले संगठन नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करना चाहता है, जिसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा।

वर्तमान में, मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों सहित कुल 54 मंत्री हैं, जबकि नियम के अनुसार अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि मंत्रिमंडल के लिए छह पद खाली हैं।

पूर्व पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के केंद्र सरकार में मंत्री बनने के कारण कैबिनेट मंत्री के पद रिक्त हैं। केंद्रीय नेतृत्व अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव से पहले अगड़ा, पिछड़ा और दलित समीकरण बैठाने की तैयारी में जुटा है।नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाना तय माना जा रहा है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts