मैं किसी से छिपकर नहीं मिलती हूं, खुले में मिलती हूं-मायावती 

आजम की चर्चाओं पर मायावती का जवाब

बसपा सुप्रीमो मायावती ने 9 साल बाद लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन किया पुराने तेवर में नजर आईं

लखनऊ।लखनऊ में बसपा की महारैली में आजम की चर्चाओं को लेकर मायावती ने बिना नाम लिए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विरोधी अफवाह फैला रहे थे। मैं किसी से छिपकर नहीं मिलती हूं, खुले में मिलती हूं।करीब 9 साल के बाद मायावती वही पुराने तेवर में नजर आती दिखाई दी। इतनी बड़ी भीड़ दिखाकर मायवती ने दर्शा दिया है। बसपा के चाहने वालों कम नहीं है। विराेधी दलों के लिए यह खतरें की घंटी बजती दिखाई दे रही है। 

बहुजन समाज पार्टी की महारैली में मायावती ने समाजवादी पार्टी-कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। मायावती ने सपा और कांग्रेस पर खूब सियासी वार किए, इस दौरान मायावती ने बिना नाम लिए आजम खान को लेकर भी बात की। कहा कि विरोधी लोग अफवाह फैला रहे हैं। मायावती ने बिना आजम खान का नाम लिए कहा कि अफवाह फैलाई गई कि दूसरी पार्टी के बड़े नेता ने दिल्ली में मुझसे मुलाकात भी की है। मायावती ने बिना नाम लिए जवाब देते हुए कहा कि मैं किसी से छिपकर नहीं मिलती हूं। खुले में मिलती हूं। दरअसल, जेल से जमानत पर रिहाई के बाद अखिलेश यादव के साथ आजम खान की मुलाकात से पहले ये चर्चाएं थीं कि आजम खान बसपा में शामिल हो सकते हैं।



मायावती ने कहा कि 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की बसपा की सरकार आने के बाद जातिवादी पार्टियों कांग्रेस, भाजपा व सपा ने षडयंत्र किया और बसपा को केंद्र की सत्ता तक नहीं पहुंचने दिया। रही सही कसर ईवीएम की मदद ली जबकि बैलेट पेपर से चुनाव हो सकते हैं। इन दलों ने अब दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर बसपा को कमजोर करने की साजिश कर रही हैं।

मायावती ने अपने भाषण के प्रारंभ में ही सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी मैंने सुना कि अखिलेश यादव ने सत्ता में आने पर कांशीराम का स्मारक बनाने की बात कही लेकिन जब सत्ता में थे तो कभी ऐसा नहीं किया। ये लोग जब सत्ता में नहीं होते हैं तो इन्हें बसपा के नेता और दलित समाज के संतों की याद आती है जब सत्ता में आते हैं तो कुछ नहीं याद रहता है। ऐसे दोगले लोगों से सावधान रहना चाहिए। बसपा की सरकार रहते हुए मैंने जिन स्मारकों का नाम कांशीराम जी के नाम पर रखा उन्हें सपा की सरकार आने पर बदल दिया गया।

मायावती ने कहा कि 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की बसपा की सरकार आने के बाद जातिवादी पार्टियों कांग्रेस, भाजपा व सपा ने षडयंत्र किया और बसपा को केंद्र की सत्ता तक नहीं पहुंचने दिया। रही सही कसर ईवीएम की मदद ली जबकि बैलेट पेपर से चुनाव हो सकते हैं। इन दलों ने अब दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर बसपा को कमजोर करने की साजिश कर रही हैं।

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