शिक्षण, अधिगम एवं अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग पर संगोष्ठी का आयोजन 

 मेरठ। मेरठ कॉलेजके आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में “शिक्षण, अधिगम एवं अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग” विषय पर एक ज्ञानवर्धक संगोष्ठी तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राम कुमार गुप्ता सभागार में किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर आर. सी. शर्मा, स्कूल ऑफ ग्लोबल अफेयर्स तथा पूर्व निदेशक, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली रहे। प्रो. शर्मा ने अपने व्याख्यान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उत्पत्ति, विकास और आधुनिक उपयोगों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की नींव वैज्ञानिक एलन ट्यूरिंग ने रखी थी, जिन्होंने यंत्र की बुद्धिमत्ता को परखने की परीक्षा प्रस्तुत की। आगे चलकर जॉन मैकार्थी ने “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” शब्द को परिभाषित किया। प्रो. शर्मा ने कहा कि आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता चौथी औद्योगिक क्रांति तथा चौथी शैक्षिक क्रांति की आधारशिला बन चुकी है।

प्रो. शर्मा ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता साक्षरता, संकेत निर्माण की कला, जेनरेटिव प्रणाली की प्रक्रिया तथा प्रॉम्प्ट के प्रकारों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षण की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों द्वारा अनुकरण खेलों (सिम्युलेशन खेलों) का प्रयोग एक नवीन शिक्षण विधि के रूप में उभर रहा है।

अपने व्याख्यान में उन्होंने “डीपसीक” प्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसमें पहली बार मशीन की सोचने की प्रक्रिया प्रत्यक्ष रूप से देखी गई। उन्होंने प्रोफेसर अशोक गोयल द्वारा प्रयुक्त “शिक्षण सहायक गिल वॉटसन”, केरल के प्रथम कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिक्षक, चीन में विद्यार्थियों की अध्ययन क्रियाशीलता को मस्तकबंध के माध्यम से मापने की प्रणाली तथा “फिलिप मार्कर” द्वारा पुस्तकों के लेखन हेतु विकसित यंत्र विधि का भी उल्लेख किया।

कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों तथा शोध छात्रों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों पर व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसमें विभिन्न एआई साधनों के उपयोग से अधिगम की नवीन तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षकों एवं शोधार्थियों की सक्रिय सहभागिता रही। मंचासीन अतिथियों में प्रोफेसर युधवीर सिंह (प्राचार्य), प्रोफेसर सीमा पंवार (अधिष्ठाता), प्रोफेसर अनिल राठी (अनुशासन प्रमुख) तथा प्रोफेसर अर्चना सिंह (आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की समन्वयक) सम्मिलित रहीं।कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरगुन साहनी एवं डॉ. यूनिक अरोड़ा ने किया। मुख्य संरक्षक श्री विवेक गर्ग, सचिव तथा संरक्षक प्रोफेसर युधवीर सिंह, प्राचार्य रहे।

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