सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर 

  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 5 घंटे तक चली ध्वस्तीकरण की  कार्रवाई 
 दुकानें टूटते देख बिलख पड़े व्यापारी, भारी फोर्स तैनात
मेरठ। आखिरकार शनिवार कोमेरठ के शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 35 साल पुराने अवैध व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त कर दिया गया। आवासीय भूखंड पर बने इस कॉम्प्लेक्स की 22 दुकानों को तोड़ा गया और 40 प्रतिशत हिस्सा जमींदोज कर दिया गया। सुरक्षा के मद्देनजर आसपास का क्षेत्र खाली करा लिया गया। ध्वस्तीकरण के दौरान व्यापारियों ने विरोध किया, लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई जारी रखी। बाकी बचे अवैध काम्पलैक्स का धवस्तीकरण की आगे की कार्रवाई की जाएगी। पूरे अभियान की ड्रोन कैमरे से निगरानी की गयी। 
शनिवार सुबह साढ़े 11 बजे प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची, तो आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। भीड़ को देखते हुए पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर दी। सुरक्षा के लिए कई थानों की फोर्स और पीएसी को तैनात किया गया है। ATS के ड्रोन से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी। फिलहाल कार्रवाई को कल सुबह तक के लिए रोक दिया गया है।
यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है। कॉम्प्लेक्स 288 वर्गमीटर में बना है। यह जमीन काजीपुर के वीर सिंह को आवास के लिए आवंटित हुई थी। हालांकि, 1990 में विनोद अरोड़ा नामक व्यक्ति ने पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल कर यहां अवैध रूप से कॉम्प्लेक्स बनवा लिया।इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2024 को आदेश दिया था कि इस कॉम्प्लेक्स को 3 महीने के भीतर खाली कराया जाए और आवास विकास परिषद के तहत ध्वस्त किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को सेंट्रल मार्केट के इस आवासीय भूखंड पर बने व्यावसायिक कांप्लेक्स को तीन माह में खाली कराकर दो सप्ताह में ध्वस्त कराने का आदेश दिया था, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नही की। इस मामले में लोकेश खुराना ने अवमानना का वाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। छह अक्टूबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह सचिव, आवास आयुक्त, डीएम, एसएसपी, आवास विकास के अधिकारियों और उक्त कांप्लेक्स के नौ व्यापारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इसकी सुनवाई 27 अक्टूबर को होनी है। कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद आवास एवं विकास परिषद के अधिशासी अभियंता आफताब ने अपने विभाग के 45 अधिकारियों व 22 व्यापारियों के खिलाफ नौचंदी थाने में मुकदमा दर्ज कराया।
व्यावसायिक कांप्लेक्स को ध्वस्त करने से पहले शुक्रवार की रात में ही दुकानों को खाली करा लिया गया था। शनिवार को भी प्रत्येक दुकान का मुआयना कर देखा गया कि वहां कोई सामान तो नहीं रखा है। सुबह करीब 12 बजे मुख्य मार्ग पर पोर्कलेन मशीन से इस व्यावसायिक कांप्लेक्स को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई। पहले फ्रंट का फिनिशिंग स्ट्रक्चर ढहाया गया। इसके बाद दूसरी साइड से स्ट्रक्चर को ढहाने की कार्रवाई की गई।                  लगभग शाम 3:30 बजे पीछे का बड़ा भाग लिंटर सहित टूटने के बाद परिसर के व्यापारी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को रोकने के लिए दबाव बनाने लगे। व्यापारियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करने के लिए अब तक की कार्रवाई पर्याप्त है। अब इस इमारत में कोई भी व्यापारिक गतिविधि संभव नहीं है, लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई रोकने से इन्कार कर दिया। 
शाम 4:20 बजे पोर्कलेन मशीन के लगातार चलने के कारण उसे रोक दिया गया । बाद में मशीन का पाइप टूट गया। ऐसे में रविवार को पुन: कार्रवाई का निर्णय लिया गया।
अधिशासी अभियंता आफताब ने बताया कि रविवार को पुन: इस स्थान पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। डीएम डा वीके सिंह का कहना है कि रविवार को हर हालत में ध्वस्तीकरण होगा।
इस दौरान 22 दुकानदार और उनके परिवारजन भी मौजूद रहे । अपनी गाढी कमाई को खत्म होता देख वो फफक फफक कर रोने लगे। यह भूखंड 1986 में आवासीय उपयोग के लिए आवंटित हुआ था, जहां व्यावसायिक कांप्लेक्स के रूप में अवैध निर्माण बढ़ता गया। आवास विकास परिषद ने 1990 में नोटिस देकर इसे गिराने को कहा था, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद आखिरकार कांप्लेक्स बचाने की व्यापारियों की दलील हार गई और कांप्लेक्स ने अपनी उम्र पूरी कर ली।
दस्तावेजों में नहीं है सेंट्रल मार्केट का नाम

आवास एवं विकास परिषद के दस्तावेजों में सेंट्रल मार्केट नाम से कोई बाजार नहीं है। स्कीम नंबर सात में शास्त्री नगर सेक्टर-6 व 2 के तहत बाजार विकसित होता गया। यहीं पर 288 वर्ग मीटर का भूखंड संख्या 661/6 है, इसमें 22 दुकानें हैं। विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक वीर सिंह निवासी काजीपुर को भूखंड आवंटन हुआ। 30 अगस्त 1986 को कब्जा दिया गया। छह अक्टूबर 1986 को फ्री होल्ड डीड हुई, इसमें संपत्ति को आवासीय प्रयोग के लिए योजित किया गया। विनोद अरोड़ा के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी हुई। इसके बाद 22 दुकानों का कॉम्प्लेक्स बना दिया गया।
सन् 2013 में ही रद्द हो गया था आवंटन

जिस भू-खण्ड संख्या- 661/6 पर बने 22 अवैध प्रतिष्ठानों को शुक्रवार की देर शाम खाली कराया गया  था। उसका करीब 12 वर्ष पूर्व 22 अगस्त 2013 को भू-उपयोग परिवर्तन मामले में आवंटन रद्द किया जा चुका था और कब्जा वापस परिषद को देना था, लेकिन परिषद के अधिकारियों के भ्रष्टाचार चलते इस कॉम्पलेक्स के साथ-साथ इसी क्षेत्र में अब तक करीब 1400 अवैध निर्माण बनकर खड़े हो गए। लोकेश खुराना की अदालत में चली लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा और साथ ही इस क्षेत्र में नए निर्माणों को बनने से रोकने की हिदायत दी। 

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