महिला अपराध
इलमा अज़ीम
भारत वह देश है जहां नवरात्रों के दौरान कन्या पूजन की प्रथा है। इसके बावजूद हमारे समाज में महिलाओं का पर्याप्त सम्मान नहीं है, उनकी सुरक्षा मेें कमी है, तो यह चिंतनीय विषय है। यही कारण है कि हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में महिला-पुरुष लिंगानुपात बिगड़ा हुआ है। बच्चों के पीछे पर्याप्त संख्या में बच्चियां नहीं हैं। यह स्थिति हमें किस ओर ले जा रही है, यह सोचने की बात है। समूह समाज को इस पर चिंतन करना चाहिए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2023 के महिला अपराधों के आंकड़े देश की तरक्की के आंकड़ों को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
देश एक तरफ जहां रक्षा, विज्ञान, तकनीकी, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ रहा है, वहीं महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के मामलों में शर्मसार हो रहा है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में उससे पिछले दो सालों की तुलना में महिलाओं के खिलाफ अपराध के ज्यादा मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। उसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2023 में पूरे देश में ऐसे करीब 4.5 लाख मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 448211 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2022 में 445256 और 2021 में 428278 मामले थे। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 66381 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद महाराष्ट्र में 47101, राजस्थान में 45450, पश्चिम बंगाल में 34691 और मध्यप्रदेश में 32342 मामले दर्ज किए गए। तेलंगाना प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 124.9 अपराध दर के साथ शीर्ष पर रहा, जबकि इसके बाद राजस्थान 114.8, ओडिशा 112.4, हरियाणा 110.3 और केरल में 86.1 अपराध दर दर्ज की गई।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 के तहत पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले सबसे ज्यादा थे, जिनमें 133676 मामले दर्ज किए गए और इनकी दर 19.7 रही। महिलाओं के अपहरण और बंधक बनाने के 88605 मामले दर्ज किए गए और इनकी दर 13.1 रही। महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से हमला करने के 83891 मामले आए, जबकि बलात्कार के 29670 मामले दर्ज किए गए। अठारह वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं से बलात्कार के 28821 मामले आए और 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से बलात्कार के 849 मामले आए। बलात्कार के प्रयास के 2796 मामले दर्ज किए गए। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत बच्चों से बलात्कार के 40046 मामले, यौन उत्पीडऩ के 22149 मामले, यौन प्रताडऩा के लिए 2778 मामले, पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों का इस्तेमाल करने के 698 मामले और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत 513 मामले दर्ज किए गए।
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों का कारण पितृसत्तात्मक सोच, सामाजिक रूढि़वादिता, शिक्षा और जागरूकता की कमी, कानूनों का कम प्रभावी कार्यान्वयन और महिलाओं के प्रति समाज की घटती संवेदनशीलता जैसे सामाजिक-आर्थिक और संरचनात्मक कारक हैं। भारत की चुनौती वैश्विक रुझानों के समान और उनसे भी बदतर है। कई देशों की तरह, भारत भी कम रिपोर्टिंग और कलंक से जूझ रहा है।
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