मेरठ में भी प्रतिबंधित हुई तमिलनाडू कंपनी के सिरप

  जिले के सरकारी ,निजी अस्पतालों व मेडिकल स्टोर पर प्रतिंबधित हुआ कोल्ड्रिफ कफ सिरप 

  मेरठ ।  मौत का काल बन रहे  तमिलनाडू कंपनी श्रीसन फार्मासुटिकल्स के काेल्ड्रिफ सिरप पर प्रदेश सरकार द्वारा पांबदी लगने के बाद सोमवार से इसका असर दिखाई देने लगा। दवा विक्रेताओं ने अपनी दुकानों से कार्रवाई के डर से सिरप को हटा दिया है। वही सीएमओ ने खाद्य आयुक्त के निर्देश पर सभी सरकारी अस्पतालों में सिरप पर रोक लगा दी है। मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन को सिरप  पर रोक लगाने के पत्र लिखा है। वहीं औषधि विभाग ने रोक के बावजूद सिरप को बेचने वाले दुकानों की धरपकड़ के लिए टीमों को गठन कर दिया है। 

 बता दें तमिलनाड़‍् की दवा कंपनी श्रीसन फार्मासुटिकल्स के बनाए जा रहे सिरप कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण अन्य राज्यों में मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते उक्त कंपनी के सिरप को अपने राज्याें में प्रतिबंध कर दिया है प्रदेश में भी कंपनी सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कंपनी के सिरप को बेचने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये है। 



 सरकारी व प्राइवेट अस्पतालोें  के साथ दुकानों पर हुआ सिरप प्रतिबंध 

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा अशोक कटारिया ने बताया में देर रात को प्रदेश के औषधि आयुक्त के आयेआदेश को सख्ती से पालन किया जा रहा है। जिले की सीएचसी व पीएचएसी , हेल्थ पोस्ट , जिला अस्पताल , मेडिकल कॉलेज  साथ सभी प्राइवेट अस्पताल में इसके देने पर रोक लगाने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि शहर व देहात के सभी मेडिकल स्टोरों के संचालकों को भी तमिलनाडू के कंपनी के सिरप को बेचने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध कर दिया है। अगर कोई  दुकानदार बेचता पाया जाता है वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। 

 हरकत में आया खाद्य औषिध विभाग 

 सरकार के आदेश के बाद औषधि विभाग पूरी तरह सक्रिय हो गया है। औषधि इंस्पेक्टर रवि शर्मा ने बताया शहर व देहात में छापेमारी के लिए चार टीमों का गठन किया गया है। अगर कोई दुकानदार सिरप को बेचता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 


 बोले मेडिकल स्टोर संचालक 



 मेरठ ड्रगिस्ट एंड कमिस्ट एसाे के अध्यक्ष देवेन्द्र भसीन का कहना है प्रतिबंधित सिरप जैनरिक सिरप है मेरठ में इसकाे नहीं बेचा जाता है। फिर उन्होंने दुकानदारों से कहा अगर सिरप का स्टाॅ़क है उसे हटा दे। 



 एसो. के महामंत्री रजनीश कौशल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने तमिलनाडू के जिस सिरप का प्रतिबंधित किया है वह उसे नहीं बेचते है। 



दवा व्यापारी मोइनुददीन गुडडू ने बताया कोल्ड्रिफ सिरप ज्यादातरत दवा व्यापारी नहीं बेचते है। वह नामी गिरामी कंपनी के सिरप को बेचते है। 



 तुषा मेडिकल स्टोर के संचालक मित्र पाल सिंह का कहना है उनकी स्टोर पर डाॅबर, डा. रेडडी, जानसन एंड जानसन व सिप्ला के सिरप बेचे जाते है। 



डॉक्टरों को बलि का बकरा बनाना बंद करें 

नेशनल यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स के संस्थापक प्रो. अनिल नौसरान का कहना है। छिंदवाड़ा में बच्चों की दर्दनाक मौतें, जो कथित रूप से कोल्ड्रिफ खांसी की दवा के सेवन से हुईं, पूरे देश को झकझोर देने वाली घटना है। हर बच्चे की मौत मानवता के लिए एक गहरी चोट है।हम, चिकित्सक समुदाय के सदस्य के रूप में, इस दुख में परिवारों के साथ हैं।लेकिन इस घटना के बाद छिंदवाड़ा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए है। क्या वास्तव में डॉक्टर दोषी हैं या उन्हें प्रशासनिक असफलता का बलि का बकरा बनाया जा रहा है?

वास्तविक जिम्मेदारी किसकी है?

डॉ. सोनी ने न तो यह सिरप बनाया, न सप्लाई किया, और न ही उसकी गुणवत्ता की जांच करने की कोई जिम्मेदारी उनकी थी।उन्होंने तो केवल एक मान्यता प्राप्त और बाज़ार में उपलब्ध दवा को मरीज के इलाज के लिए लिखा था ।जिसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया  द्वारा स्वीकृति प्राप्त थी।यदि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल जैसे ज़हरीले रसायन की मिलावट पाई गई है, तो इसकी जिम्मेदारी  निर्माता कंपनी पर  जिसने दूषित या घटिया रसायन का उपयोग किया।डीसीजीआई   पर  जिसने निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण में लापरवाही की।मध्यप्रदेश और तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक विभागों पर  जिन्होंने समय रहते दवा की जांच नहीं की।

यह सिस्टम की विफलता है, डॉक्टर की नहीं

यह घटना किसी डॉक्टर की गलती नहीं, बल्कि दवा नियंत्रण व्यवस्था की असफलता को दर्शाती है।भारत के डॉक्टर सरकार द्वारा स्वीकृत दवाओं पर भरोसा करते हैं।अगर दवा पहले से ही फैक्ट्री या डिस्ट्रीब्यूशन स्तर पर दूषित हो चुकी हो, तोकोई भी डॉक्टर चाहे वह कितना भी अनुभवी क्यों न हो उसे जांच नहीं सकता।डॉक्टरों को दोषी ठहराना, असली अपराधियों से ध्यान भटकाने के समान है।



 

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