भूली-बिसरी शौर्य गाथाओं को जीवंत करता एक विवि

ऑपरेशन पवन को याद कर शहीदों को याद कर किया जाएगा नमन 

1987 में श्रीलंका में पहुंची शांति सेना के 1171 सैनिकों ने दी थी सहादत 

 सत्यजीत रे सभागार   में 11 अक्टूबर को आयोजित होगा स्मृति समारोह का आयोजन 

 मेरठ। भारतीय सेना ने अपनी वीरता, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा के लिए सदैव गर्व का विषय प्रस्तुत किया है। इसी गौरवशाली परंपरा में "ऑपरेशन पवन" एक ऐतिहासिक अभियान के रूप में जाना जाता है। यह अभियान 29 जुलाई 1987 को भारत एवं श्रीलंका के बीच हुए एक संधि के परिणामस्वरूप भारतीय शांति सेना द्वारा श्रीलंका में चलाया गया था। इसका उद्देश्य श्रीलंका में शांति स्थापित करना तथा वहां चल रहे आंतरिक संघर्ष को समाप्त करने के लिए सरकार की सहायता करना था। भारतीय सेना ने कठिन परिस्थितियों, भीषण मौसम और जटिल भौगोलिक स्थिति के बावजूद अत्यंत साहस और रणनीतिक कौशल का परिचय दिया। इस अभियान में 1171 भारतीय अधिकारियों एवं सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्र की गरिमा को ऊँचा किया। साथ ही लगभग 3000 भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए।

 श्रीलंका के चार प्रांतों में चला अभियान 

यह अभियान 29 जुलाई 1987 से लेकर 24 मार्च 1990 तक श्रीलंका के चार प्रांतों में चला। जिसमें की भारतीय नौसेना एवं भारतीय वायु सेना के अतिरिक्त भारतीय थल सेना की चार डिवीजन ने हिस्सा लिया जो की श्रीलंका के उत्तर एवं पूर्वी प्रांतों के जाफना, वावुनिया, बैटीकोलोआ एवं त्रिंकोमाली में तैनात की गयी। इसी ऑपरेशन के दौरान अक्टूबर 1987 में ऑपरेशन के शुरुआती दौर में 11 और 12 अक्टूबर की रात्रि को आतंकवादी संगठन लिट्टे के संभावित मुख्यालय जो की जाफना विश्वविद्यालय में होने की संभावना थी, उसपर भारतीय शांति सेना द्वारा एक आक्रमण की योजना बनायीं गयी।11-12 अक्टूबर 1987 की एक  जाफना विवि  कार्रवाई  गई थी। 



35 सैनिकों ने दी थी सहादत 

इस कार्रवाई में, आतंकवादी संगठन लिट्टे (LTTE) द्वारा भारतीय शांति सेना पर हमला कर दिया गया, जिसमें लगभग 35 भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिये। इस अभियान में केवल एक जवान सिपाही गोरा सिंह जीवित बचा और आतंकवादियों द्वारा बंदी बना लिया गया, जिनको कुछ दिन पश्चात लि‌ट्टे  द्वारा रिहा कर दिया गया।इस अभियान में मुख्यतः 2 सेना की इकाईयों, 10 पैरा कमांडो एवं 13 सिख लाइट इन्फैंट्री ने भाग लिया साथ ही भारतीय वायु सेना की 107, 109, 112 हैलीकॉप्टर यूनिट द्वारा भाग लिया गया।मेजर बिरेन्द्र सिंह डी कंपनी के कमांडिंग अधिकारी) इसी अभियान में बलिदानी हुए और उनकी बहादुरी को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया ।ऑपरेशन पवन केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारतीय सेना की प्रतिबद्धता, त्याग और मानवीय मूल्यों की रक्षा का प्रतीक है। यह हमें यह संदेश देता है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और भारतीय सेना हर परिस्थिति में शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए तत्पर है।

ऑपरेशन के गवाह पूर्व सैन्य अधिकारी ऑपरेशन से छात्रों को कराएंगे रूबरू 

सुभारती परिवार की ओर से भारतीय सेना और उन सभी अमर बलिदानियों को नमन हैं, जिन्होंने इस अभियान में अपने सर्वोच्च बलिदान से इतिहास रचा।  11 अक्टूबर आइएनए शहीद स्मारक, सत्यजीत रे सभागार, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन (भारतीय शांति सेना) के दौरान हुए सभी बलिदानियों की स्मृति में एवं सभी प्रतिभागियों के सम्मान हेतु "स्मृति समारोह" का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसमे मुख्य अतिथि लेफ्टीनेंट जनरल हरदेव सिंह लिड्डर, परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल,विशिष्ट सेवा मेडल (सेवा निवृत) होंगे। उन्होंने "ऑपरेशन पवन" के दौरान 9 पैरा कमांडो को कमाण्ड किया था और साहस का परिचय दिया था। उसके अलावा लगभग 40 प्रतिभागी एवं 15 बलिदानियों के परिजन, देश के विभिन्न कोनों से इस समारोह में हिस्सा लेने आयेंगे जिनको स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा सम्मानित किया जायेगा। आयोजन सुभारती ग्रुप के संस्थापक  डॉ. अतुल कृष्ण  के नेतृत्व में और कर्नल राजेश त्यागी , सेना मेडल, (से.नि.) के निर्देशन में आयोजित किया जायेगा। कर्नल राजेश त्यागी  स्वयं इस अभियान के हिस्सा थे। 

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