वामा साहित्य मंच की कृत्रिम बुद्धिमत्ता और साहित्य पर तरंग गोष्ठी का आयोजन 

इंदौर। वामा साहित्य मंच के द्वारा अंतरराष्ट्रीय तरंग गोष्ठी संपन्न हुई। इस परिचर्चा का विषय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) - साहित्य हेतु सराहनीय, प्रासंगिक अथवा संकट? रखा गया। जिसमें देश-विदेश की वामा साहित्य मंच से जुड़ी लेखिकाओं ने भागीदारी की।

कार्यक्रम का शुभारंभ  बकुला पारेख द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत शब्दसुमन अध्यक्ष ज्योति जैन ने भेंट किए।लखनऊ की अंजू निगम ने संचालन की महत्ती भूमिका निभाई। 

 इस विशेष तरंग गोष्ठी में इंदौर से बाहर की साहित्यकारों को  प्रथम प्राथमिकता दी गई थी, जिसमें सिंगापुर से सोनल शर्मा, अहमदाबाद से रूपाली पाटनी, रायपुर से सारिका सिंघानिया, अमेरिका से रेखा भाटिया, सुमन कश्यप और अतुला शर्मा, उदयपुर से आरती चित्तौड़ा, भोपाल से रितु सक्सेना, खंडवा से रंजना जोशी, नागपुर से अर्चना पंडित शामिल हुई। इसके अतिरिक्त, इंदौर से डॉ. भावना बर्वे और डॉ. रेखा मंडलोई 'गंगा' ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

तरंग गोष्ठी में चाय संग अनूठे अंदाज़ में हुई इस परिचर्चा में, सभी वामा साहित्यकार सखियों  ने AI के साहित्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपने विचार साझा किए। सभी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि AI एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, लेकिन इसका उपयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए ताकि साहित्य की मौलिकता, मानवीय भावनाएं और संवेदनाएं बनी रहें। यह आयोजन AI और साहित्य के बीच के संबंधों को समझने की दिशा में एक सार्थक कदम था।

कार्यक्रम संयोजन डॉ. प्रतिभा जैन ने किया। सचिव स्मृति आदित्य सहित, शारदा मण्डलोई, पद्मा राजेंद्र, अमर कौर चड्ढा, अंजना चक्रपाणि, शोभा प्रजापति, रागिनी शर्मा, वाणी जोशी, नारायणी माया बदेका, आशा मुंशी, आशा गुप्ता, मंजु मिश्रा, उषा गुप्ता, चेतना भाटी, अनुपमा गुप्ता, स्नेहलता श्रीवास्तव, ने गोष्ठी से जुड़कर इसे सफल बनाया। अंत में आभार शैली बख्शी ने व्यक्त किया।

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