ट्रूकॉलर ने बुजुर्गों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए ख़्याल के साथ साझेदारी की

 

मेरठ ।देश और दुनिया के बुजुर्ग धीरे-धीरे डिजिटल युग के तौर-तरीकों को अपना रहे हैं, और इसी वजह से वे पहले से कहीं ज़्यादा जोखिम में हैं। वे टेक्नोलॉजी से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं साथ ही धोखाधड़ी की तरकीबें भी लगातार बदल रही हैं, लिहाजा इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि साइबर अपराध का शिकार बनने वाले ज़्यादातर लोग 50 साल से अधिक उम्र के हैं— बहुत से लोग न सिर्फ़ पैसे ही नहीं गँवा रहे हैं, बल्कि उनके बीच सुरक्षा और भरोसे की भावना भी कम हो रही है।

 इस मौके पर ट्रूकॉलर के ग्लोबल सीईओ, रिशित झुनझुनवाला ने कहा, "डिजिटल युग हमारे बुजुर्गों के लिए आपसी जुड़ाव, सहूलियत और अपनी कम्युनिटी जैसी बहुत-सी संभावनाएँ लेकर आता है। लेकिन यह नए-नए ख़तरों को भी साथ लाता है जिनके लिए वे अक्सर तैयार नहीं होते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "हमने स्कैम का शिकार बनने वाले कई बुज़ुर्गों की दिल दहला देने वाली कहानियाँ सुनी हैं। ख़्याल के साथ हमारी ये साझेदारी उन्हें इस माहौल में सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी जानकारी और टूल्स से लैस करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।"

ख़्याल के संस्थापक एवं सीईओ, हिमांशु जैन ने इस साझेदारी के बारे में बात करते हुए कहा, " स्कैम का शिकार बनने के बाद होने वाला मानसिक तनाव बहुत ज़्यादा हो सकता है, जिससे वे अक्सर डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल को लेकर चिंतित रहते हैं और उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है। ख़्याल में, हम चुपचाप बढ़ रहे इस संकट को लंबे समय से पहचानते आए हैं और डिजिटल वर्कशॉप के ज़रिये इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के संकल्प पर कायम हैं। ट्रूकॉलर के साथ हमारी ये साझेदारी इसी संकल्प को और आगे ले जाती है। रेड फ़्लैग्स को पहचानना सीखकर, ट्रू-कॉलर जैसे सही टूल्स का उपयोग करके, और धोखाधड़ी की नई तरकीबों के बारे में जानकारी रखकर, हमारे देश के बुजुर्ग ऐसे धोखेबाजों से अपनी हिफाजत करते हुए खुलकर जिंदगी जी सकते हैं।"

 

 

ख़्याल के सभी सदस्यों को ट्रूकॉलर प्रीमियम की मेंबरशिप पर 50% की विशेष छूट मिलेगी, और इस तरह उन्हें अब तक के सबसे एडवांस्ड कॉलर आइडेंटिफिकेशन तथा स्पैम प्रोटेक्शन जैसे फीचर्स का उपयोग करने की सुविधा मिल सकेगी। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर सुरक्षा के लिए शुरू की गई इस पहल के तहत, ख़्याल और ट्रूकॉलर साथ मिलकर उन्हें सिखाने के लिए खास कंटेंट तैयार करेंगे। इसमें “न्यू स्कैम हाइलाइट्स” जैसे सत्र शामिल हैं जो धोखाधड़ी की नई तरकीबों के बारे में जानकारी देते हैं। साथ ही, इसके तहत परस्पर बातचीत पर आधारित "स्पॉट द स्कैम" वर्कशॉप एवं कॉन्टेस्ट, अनजान नंबरों से आने वाली कॉल्स को संभालने के लिए ज़रूरी दिशा-निर्देश, और ख़्याल के उन बुजुर्ग सदस्यों के शानदार अनुभव भी शामिल होंगे, जिन्होंने स्कैम की कोशिशों को पहचानने और उसे बचने में सफलता हासिल की है। इन पहलों का संचालन डिजिटल और ऑन-ग्राउंड, दोनों तरीकों से किया जाएगा। "

हालाँकि ट्रू-कॉलर का मुफ़्त वर्ज़न भी बेहद उपयोगी है, लेकिन प्रीमियम सब्सक्रिप्शन में बेहतर स्पैम ब्लॉकिंग और कई तरह के एडवांस्ड सेफ्टी फीचर्स मिलते हैं, जो बुजुर्गों को धोखाधड़ी और अनचाहे संचार से बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। टेक्नोलॉजी पर आधारित ये तरीक़ा बचाव का एक अतिरिक्त स्तर प्रदान करता है, और इस तरह बुजुर्गों के लिए एक सुरक्षित दुनिया बनाने के साथ-साथ शिक्षा और समाधानों के ज़रिये उन्हें सक्षम बनाने की दिशा में ख्याल की लगातार कोशिशों को और मज़बूत करता है।

ख़्याल और ट्रूकॉलर, इस साझेदारी के ज़रिए डिजिटल सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं, ताकि हमारे देश के बुजुर्ग डिजिटल दुनिया में सुरक्षा और बुलंद हौसले के साथ आगे बढ़ सकें। ये पहल लाखों बुजुर्ग सदस्यों वाले ख़्याल के भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म को ट्रूकॉलर की धोखाधड़ी से बचाने वाली अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ती है, जिसका उद्देश्य बुजुर्गों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें सक्षम बनाना भी है।

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