नगर निगम की बोर्ड बैठक में हंगामा, कोई निर्णय नहीं हो सका पास

मेरठ। शनिवार को  चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में शनिवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में आधे घंटे तक जमकर हंगामा हुआ। भाजपा पार्षद ने नगर आयुक्त सौरभ सिंह गंगवार की तुलना बंदर से कर दी। महापौर ने पार्षदों को शांत करने की कोशिश की। लेकिन वे नहीं माने। नगर आयुक्त नाराज होकर सदन छोड़कर चले गए। इस वजह से बैठक स्थगित करनी पड़ी।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में आज 11:30 बजे नगर निगम की बोर्ड बैठक बुलाई गई थी। सफाई कर्मचारियों के विरोध के चलते बैठक डेढ़ घंटे देर से शुरू हुई। मेयर और नगर आयुक्त समेत सभी वार्डों के पार्षद इसमें शामिल हुए। महापौर हरिकांत अहलूवालिया बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

वार्ड 44 से पहली बार पार्षद बने उत्तम सैनी ने सदन शुरू होते ही माइक अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने जंगल में एक बंदर राजा और हिरण की कहानी सुनाते हुए, नगर आयुक्त सौरभ सिंह गंगवार की तुलना बंदर से कर दी। इतना सुनते ही भाजपा के अन्य पार्षद भी खड़े हो गए। उन्होंने नगर आयुक्त पर भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोप लगाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया।

नगर आयुक्त सदन छोड़कर गए

महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने पार्षदों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद नगर आयुक्त सदन छोड़कर चले गए। उनके साथ नगर निगम के कर्मचारी भी सदन से बाहर आ गए। करीब आधे घंटा तक हंगामा चलता रहा। महापौर ने नगर आयुक्त को बुलाने के लिए फोन किया। लेकिन उन्होंने बैठक में आने से मना कर दिया। इस वजह से बैठक स्थगित करनी पड़ी।

भाजपा पार्षद ने कहा 18-18 घंटे काम करने का दावा झूठा

पार्षद ने कहा कि नगर आयुक्त के चार्ज संभालने के बाद नगर निगम अब नरक निगम बन चुका है। नगर निगम को पार्षद नहीं बल्कि ठेकेदार चला रहे हैं। जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाती हैं। अगर पार्षद जनता के काम नगर आयुक्त से करने के लिए बोलते हैं तो उनकी कोई सुनता नहीं। सदन में पार्षद ने नगर आयुक्त के लिए अभद्र भाषा का भी उपयोग किया।

सदन के बाहर सफाई कर्मचारियों ने की नारेबाजी

वहीं नगर निगम सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष विनेश मनोठिया के नेतृत्व में सफाई कर्मचारी सदन के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि समान कार्य समान वेतन की लड़ाई, वें काफ़ी समय से लड़ रहे। उसके बावजूद भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई। निगम में 2900 कर्मचारी है। इनमें 2415 कर्मचारी ठेके पर हैं । मानक के अनुसार 10 लाख की आबादी पर 28 कर्मचारी होने आवश्यक है। जिले की आबादी के हिसाब से करीब 6000 कर्मचारी की जरूरत है। सफाई कर्मचारियों का निगम द्वारा शोषण किया जा रहा है।

बैठक में आज हॉउस टैक्स समेत अन्य मुद्दों पर होनी थी चर्चा

नगर निगम की बोर्ड बैठक में स्ट्रीट लाइट, हॉउस टैक्स समेत और कूड़ा निस्तारण समेत लिसाड़ी गेट में स्थित इस्लामाबाद का नाम बदलने पर चर्चा होनी थी। पार्षद बड़े हुए गृह कर बल व वसूली की स्थिति से संतुष्ट नहीं थे। इसके अलावा कार्यकारिणी में शहर के प्रमुख मार्गो की मैनुअल और मशीनों से सफाई व्यवस्था ठेके पर देने का प्रस्ताव, वीडियो से गोबर कलेक्शन व निस्तारण के लिए एजेंसी का चयन होना था। कंकरखेड़ा क्षेत्र के लिए डोर टू डोर पूरा कलेक्शन के लिए फॉर्म का चयन करने संबंधी प्रस्ताव पर चर्चा की जानी थी।

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