बाइक बोट घोटाला

मेरठ पुलिस बनाएगी जेल में बंद विजेंद्र हुड्डा और संजय भाटी का रिमांड

मेरठ ।  देश का बहुचर्चित 42,000 करोड़ का बाइक बोट घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। छह साल बाद शहर कोतवाली थाने में बाइक बोट घोटाले का एक मामला दर्ज हुआ है। आरोप लगाया गया कि विजेंद्र हुड्डा और संजय भाटी समेत नौ आरोपितों ने पीड़ित से 9.93 लाख की ठगी की। पुलिस जेल में बंद विजेंद्र हुड्डा और संजय भाटी का रिमांड बनाएगी। ताकि उन्हें आरोपित बनाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी जाए।

दो अगस्त को न्यू शिवलोक कालोनी बेगमबाग निवासी 68 वर्षीय अरविंद कुमार ने बाइक बोट घोटाले में एक और मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने बताया कि 20 दिसंबर 2018 को उनके परिचित अरविंद मित्तल निवासी गोकुल विहार रोहटा रोड उनके घर आए।

अरविंद के साथ संजय भाटी गांव चित्ती थाना दनकौर जिला गौतमबुद्धनगर, पवन भाटी व सचिन भाटी और दीप्ति बहल पत्नी संजय भाटी निवासीगण बद्रीशपुरम थाना कंकरखेड़ा, राजेश भारद्वाज, विजय कसाना, बिजेंद्र सिंह हुड्डा निवासी शिवलोकपुरी कंकरखेड़ा मूल निवासी हरियाणा फरीदाबाद, तरुण शर्मा निवासीगण गांव कोट जिला गौतमबुद्धनगर और करणपाल सिंह निवासी एफ-83 गंगा सागर थाना गंगानगर मेरठ भी थे।

उक्त सभी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (बाइक बोट) कंपनी अपनी बताई। कंपनी में पैसा लगाकर रकम दोगुणा कमाने का लालच देकर 9.93 लाख ठग लिए। विजेंद्र हुड्डा मोनार्ड यूनिवर्सिटी का निदेशक है, वहां के फर्जी डिग्री प्रकरण में फिलहाल डासना जेल में बंद है। उसके खिलाफ एसटीएफ ने चार्जशीट तैयार कर ली है।

2020 से ईडी कर रही जांच

बाइक बोट घोटाला केस 2020 में ईडी को सौंप दिया था। ईडी ने मेसर्स गर्विट इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टरों की कई संपत्तियों को सीज भी किया है। ईडी की जांच के दौरान कंपनी से कुछ सपा नेताओं का नाम भी जुड़ा था।

2010 में बनी थी कंपनी, 2019 में हुआ था घोटाला

संजय भाटी ने 2010 में मेसर्स गर्विट इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी शुरू की थी। कंपनी में संजय के अलावा अपनी पत्नी दिप्ती बहल और भाई सचिन, कर्णपाल सिंह और राजेश भारद्वाज को निदेशक बनाया गया था। कंपनी का निदेशक बदलने के बाद 2019 में बाइक बोट स्कीम लांच की। स्कीम लांच करने के बाद अलग-अलग राज्यों में इसका प्रचार-प्रसार किया और फिर करोड़ों रुपये एकत्र कर घोटाला किया। नोएडा में इस कंपनी का कार्यालय था।

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