रक्षा बंधन पर साम्प्रदायिक एकता की मिशाल अभी कायम
आज भी मुस्लिम बहनें हिंदू भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर रही रक्षा का वचन
मेरठ । मेरठ समेत पूरे देश में रक्षा बंधन का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर रक्षा का वचन लेगी । वही भाई भी अपनी की रक्षा के कसमें खाएगे। लेकिन आज भी रक्षा बंधन पर साम्प्रदायिक एकता का मिशाल अभी कायम है आज भी मुस्लिम महिला हिन्दूओं भाईयों को व हिन्दु भाई मुस्लिम बहनों से राखी बंधवाकर मिसाल को कायम किए है। वही सात समंदर पार खाड़ी देशों में भी अब इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हो चुकी है। वहां इस परंपरा को भारतीय मुसलमानों ने ही शुरु किया है।
15 से रक्षा बंधन पर हिना कौशल भाई का इंतजार करती है भाई
देश भक्ति विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह कोछड़ पिछले 15 सालों से खैर निवासी हिना कौसर से राखी बंधवा रहे है। श्री कोछड़ का कहना है 2010 में वह रक्षा बंधन पर छतरी वाली पीर पर फूलों का कारोबार करने वाले अकरम के घर पर गये थे। तभी अकरम के भाई की पत्नी हिना कौशर ने उनके हाथ राखी बांधा थी।मनजीत सिंह कोछ़ड का कहना है कि शुरूआत में यह औपचारिकता था लेकिन अब उनके महत्वपूर्ण बन गया है। हर साल हिना कौशन उनका ब्रेसबी से इंतजार करती है। वह भी बहन के लिए कुछ उपहार लेकर जाते है।
सारथी सामाजिक सोशल वेलफेयर की प्रदेश अध्यक्ष कल्पना पांडे पिछले 8 साल से रसीद नगर निवासी मौ आबिद को राखी बांधती आ रहा है। उन्होंने बताया कि एक कार्यक्रम के दौरान उनकी मुलाकात मौ आबिद से हुई थी। तभी उन्होंने उन्हें अपनी बहन मान लिया था हर साल वह अपने भाई को राखी बांधती आ रही है।
1968 पहली राखी दिवंगत शबनम से बंधवाई थी राखी
मेरठ ड्रग्स केमिस्ट एसो के महामंत्री रजनीश काैशल बताते है । वह कैंट हॉस्पिटल में रहते थे। उसके पडोस में शबनम का परिवार रहता था। उस समय उनकी कोई बहन नहीं थी। शबनम के कोई भाई नहीं था उन्होंने बताया उनके हाथो में पहली राखी शबनम ने बांधी थी जो सिलसिला 1982 तक चला। शबनम के इंतकाल के बाद उनकी बहन बाबरा ने शादी होनेउनकी कलाई पर राखी बांधी। उन्होंने बताया कि शबनम की दादी ईद के मौके पर उनके परिवार को सूखे मेवे दूध घी आदि देती थी।
35 सालों साालों से प्रेमवती से राखी बंधवा रहे है अखलाक
मोदीपुरम में पुष्प विहार निवासी अखलाक कुरैशी ने बताया वह पिछले 35 सालों से रक्षा बंधन व भैया दोज का त्याैहार बनाते आ रहे है । अपने बहन प्रेमवती निवासी दुर्गा कॉलोनी से राखी बंधवाते आ रहे है। अखलाक का कहना है कि उन्होंने अपने भांजों की शादी में भात भरा है। यह परम्परा आगे भी चलती रहेगी। बहन भाई के प्यार को देखते हुए क्षेत्रवासी अखलाक को मामू के नाम से पुकारते है अखलाक का कपडे का कारोबार है
बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बांधा रे'
उधर इसी थीम पर इस बार मेरठ में कई मुस्लिम परिवारों की लड़कियां जहां अपने मुंह बोले हिन्दू भाइयों की कलाइयां सजाएंगी वहीं कई सगे बहन-भाइयों से लेकर रिश्ते के बहन भाई तक भी मिलजुलकर इस खूबसूरत त्योहार को मनाने की तैयारियां कर रहे हैं।
जाकिर कालोनी निवासी ताबिश खान की बेटी रीम खान व शास्त्री नगर सेक्टर 11 निवासी नुसरत मुईन फारुकी की बेटी जायना नुसरत फारुकी ने तो बेहद खूबसूरत राखियां बनाकर सऊदी अरब के जद्दा भेजी हैं। यह राखियां उन्होंने अपने भाई (मिशल फैसल खान) को भेजी हैं। जायना बताती हैं कि उन्होंने और रीम ने अपने भाई मिशल फैसल खान के लिए राखी तो भेज दी है लेकिन वह रक्षाबंधन के दिन ऑनलाइन उनके फोटो पर (प्रतिकात्मक रूप से) भी राखी बंधेंगी। इसी प्रकार सदर निवासी आरिफ खान के बेटे हमजा खान और बेटी अनम खान ने भी रक्षाबंधन को ईद की खुशियों की तरह मनाने का प्लान किया है। यह दोनों भी आज एक दूसरे को राखी बांधेंगे। उधर जली कोठी निवासी कांग्रेस के पूर्व पीसीसी सदस्य और रेलवे बोर्ड के मेंबर रह चुके एम. इमरान को भी उनकी कई मुंहबोली हिन्दू बहन गीता उन्हें राखी बंधेंगी।रास्ते में अटकी राखी, बहनें व्याकुल
जाकिर कालोनी निवासी रीम एम और शास्त्री नगर सेक्टर 11 निवासी जायना ने बताया कि उन्होंने जो राखी सऊदी अरब अपने भाई मिशल फैसल खान के लिए भेजी थीं, वह अभी तक वहां नहीं पहुंची हैं। इसके चलते रीम और जायना के साथ-साथ जद्दा में उनका भाई मिशल फैसल खान भी व्याकुल है। हालांकि जायना ने डाक विभाग के पोर्टल पर ट्रैकिंग कर अपनी भेजी गईं राखियों का ऑनलाइन स्टेटस पता किया। इसके बाद उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि यह राखियां शनिवार को उनके भाई को जद्दा में रिसीव हो जाएंगी।
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